----- || रागललित || -----
भरी भोर में बड़े मुँह अँधेरे,
हुए फिर से रीते रैनी-बसेरे..,
चिड़ियों को पानी, कनका न तिनका,
उड़े भूखे प्यासे पंखि-पखेरे..,
हुवे दाता ग्यानी बड़ा नाम जिनका,
न देवें कसोरे न मूठि बखेरे..,
भरी दुइ पहरी फिरें ये नगरी-नगरी,
ढली साँझ को भी फिरे ये न फेरे..,
न ये पिंजड़े के न पिंजड़ा ही इनका,
ये भगवान के न तेरे न मेरे.....
भरी भोर में बड़े मुँह अँधेरे,
हुए फिर से रीते रैनी-बसेरे..,
चिड़ियों को पानी, कनका न तिनका,
उड़े भूखे प्यासे पंखि-पखेरे..,
हुवे दाता ग्यानी बड़ा नाम जिनका,
न देवें कसोरे न मूठि बखेरे..,
भरी दुइ पहरी फिरें ये नगरी-नगरी,
ढली साँझ को भी फिरे ये न फेरे..,
न ये पिंजड़े के न पिंजड़ा ही इनका,
ये भगवान के न तेरे न मेरे.....
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