Wednesday, May 23, 2018

----- || राग-रंग 1 || -----

----- || रागललित || -----

भरी भोर में बड़े मुँह अँधेरे, 
हुए फिर से रीते रैनी-बसेरे.., 

चिड़ियों को पानी, कनका न तिनका, 
उड़े भूखे प्यासे पंखि-पखेरे..,

हुवे दाता ग्यानी बड़ा नाम जिनका, 
न देवें कसोरे न मूठि बखेरे.., 

भरी दुइ पहरी फिरें ये नगरी-नगरी, 
ढली साँझ को भी फिरे ये न फेरे.., 

न ये पिंजड़े के न पिंजड़ा ही इनका,
ये भगवान के न तेरे न मेरे.....


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