धीर प्रसांत धमक दहारा । नयन पीर मीर नीर धारा ।।
नीराकर दहर धउरहारा । दयन दयावन कर दर भारा ।।
धनवन धनु बहन धनुरधारा । निसुंभ दसानन निषंगन सारा ।।
धनुक धनु गुन गहन अपारा । धनु सर कर धनवंतर धारा ।।
धरन चरन नदराजन थाहा । नृप दीप दकन दइतन दाहा ।।
थरथर थरन थर नर दखिनहा । धंसन दहलन दस दंकनवहा ।।
दासरथ दिरिसपथ दवनाला । दसमुख दहलन दरसन काला ।।
दसाकरष नयन जल ज्वाला । दाहन देहरि दीपक माला ।।
दिन दिन कर दीनानाथ दिव्य दीप दिवसेश ।
नौरंग क्रम सैन साथ दीप्तक द्वीप देश ।।
धुर धुरंधर धुर ऊपर धूम ध्वज पथ वान ।
धर धनुर्धर धनवंतर धूम धुमायमान ।।
रविवार, 30 सितम्बर, 2012
धूलिध्वज सुत सुद्धि सुतिहारी । दुइ बंधु बहन नग नग भारी ।।
करम पद नय नीर निरमाना । दृड़ संधि सिल सेतु संधाना ।
तरल तल तृपल धारिन धारी । धार धर बरस धारासारी ।।
नग नग नाथन नधन नदीसा । दूर दिग दिस अदूर भाव दिसा ।।
नील नीरधर नल निर्धारा । नद पद पथ पद्द पारावारा ।।
नल नील नदर नदीं नाँदा । नील निरबंधन नल नीरबांधा ।।
थरु तरु धारन तारन तारा । नग नगज नद्द नद नत धारा ।।
तृपल तरल कर तल कर तारी । नरमन दसन दिस दस कंठारि ।।
दुबिद दुसय दुइ दिगुन दिक बंधू । दीपिवत सिल्पिक सैल संदु ।।
शिला चक्र चित्र पट न्यास शिलाक्षर अटक टंक ।
शिल्प सैल विन्यास नत नद राजन रंक ।।
ताल मेल बन सेतुक सारा । दिस दिसंतर दसमुख दुआरा ।।
दुइ दिस तार दिरघाकारा । धर धनवागर नद नग गारा ।।
धरम करम कोष करित करनी । नाथ नत मस्तक धरन धरनी ।।
रघु राजन रज रचित नियासा । दकन धरन नील कंठ कासा ।।
तन निरंजन रचन रजतंता । दृसान दृस दस देवल संता ।।
तपो बन भूमि तप बल धामा । नेमि करन कर दे दइ रामा ।।
नखत साधन सिद विधवंता । देवारिपु सुर असुर नियंता ।।
दाय बंधु दय दायक दाई । देव धरमन देव अनुयायी ।।
देव कुंड कुट कुल कर्म गिरा गति गर्जन गण ।
गृह गर्भ गुरु चर्या धर्म भवन भूति ब्राम्हण ।।
देवार्पण अनुग अन्न युग यजि यजन मुनि जन ।
देवाराधन श्रुत श्रवण अर्चन श्री हुति हवन ।।
सोमवार, 01 अक्टूबर, 2012
दिसा साधन सेतु संवरना । दच दच धुजिनी धवज चरना ।।
दिग अंतर आगत बली दंति । दाहन दावन रावण रंती ।।
धवज पट प्रहरन धज धज धारी । धड़ा धड़ चढ़ दंड वध कारी ।।
दकन गोल पवन अग अभिमुखा । अभियान करन दल तीर तुका ।।
धरमत यज जुग जुद्ध धरावा । धुर धुर धुजिनी धावनि धावा ।।
धरमा चरन धर सेतु चरना । धरम चारन चर धुरय धरना ।।
दंड चक्र चरण दंतक पासा । दंकन अंकन लंकन वासा ।।
दगधन दमन दहन जोनि । देव धरम कर जुग संजोनी ।।
थुलथुल दर थली थरथर दनु पति संभव सीर ।
दन्न दनादन भयंकर दधि शोण सागर तिर ।।
तूणि तूणि तरंग तीर तिर तिर सूल दहाड़ ।
तूणी तूणी तूणीर तिन तिन ओट पहाड़ ।।
देहलि न्याय दीप धर कर कर्म दश कंठ जित ।
दंड मुख मुद्रा धराधर दसधड़ भव भय भीत ।।
थर थर थुलथुल दर थरकौंहाँ । तार तरन तर तनिक थकौहाँ ।।
थकन थंभन थम थर दुरदेसा । देस धर्म रूप देव निरदेसा ।।
तुतथ तनी तर तोय तिर ताहि । तुंडी तुंदि तुंदिफल खाही ।।
नदी कांत कर नद्राजन मुखा । नर कौतुक कर केसरी भुखा ।।
थाप थानैत धापन धाना । नारीकेल ध्वनि रस नाना ।।
नीर आधारी कर निरधारा । नीर नहारी धर निरहारा ।।
निरत निसाचर फिरतान पाया । निरत निरादर नाच नचाया ।।
मूल निरमूलन निसचलांगा । निछिपत छेपत नग नग नाँघा ।।
दौर दौर दौरहारद धारा । दइतन देह धर दैउ मारा ।।
देइतक दइतक दुराचारी । नरक असुर कर वानर मारी ।।
नखर कर नाकात चर नक काटा । नक इत कर उत नक नौ नाठा ।।
तोड़ तोड़ तुंदिल फला तुंडी तुंदी तुंड ।
दौड़ दौड़ दोलित दला नाभि कंटक झूंड (कुण्ड) ।।
दर दर दया कर सागर दलप गंजन बादल ।
दरण दर्पच्छिद कल हर दलभ दल दावानल ।।
मंगलवार, 02 अक्टुबर, 2012
देख दिसा दिग आवत नाथा । दूरकहन दुहरन दस माथा ।।
दिग दिक देस दिगंत दिखाई । दिग बल मंडल महिमा गाई ।।
दुहागी भागी दुहर दुहाई । तय दय भय मयसुता सुनाई ।।
धीगुन सकति सकल समुझाई । नयन नीर नावन नाथ नाइ ।।
नमनुरोधन विरोध निरोधा । निरधव निजोग जोगन जोधा ।।
दइत निधीस निबंधन गाथा । नर बलि हरि हत नरंधि नाथा ।।
नयविसारद नयनाभिरामा । नरकांतक कारि नर नामा ।।
नायक दयिता दयित दयाला । दया सील कर देव कृपाला ।।
धर धूलि ध्वज सुत उड़न धुर्तक धूलि झाड़ ।
धूर्त कृत चारित रचन दर्दर दर्व दहाड़ ।।
नयन नीर पट पथ पर देई । नाथनत नाथवत वइदेही ।।
नाम किरत कर कीरति केही । धीसख सीख नाथ दइ देइ ।।
दुइ सत वचन कहन कह पाई । दयित दय दो दयिता पराई ।।
तर धर थर नर दसावतारा । धर चरन कर नास तुम्हारा ।।
देसिक देही देसक देई । दइ वइदेही देवा लेही ।।
देव उपदेश दइ दो धेई । नर केसर तुम निरबल देही ।।
दरदर दरव दरपक धरता । दरभ आसन धर भासन भरता ।।
दाब दाप धर दानव दारी । धमक धमक धमधूसर धारी ।।
निगदन निगमन निवचन क्रोधा । नहीं निकटतम मम सम जोधा ।।
दुरतिक्रम नर देव दुरदामा । दावन रावन दरन न रामा ।।
दिगगज बली विजयी कारा । दिक् पति नाग नाथ तुम्हारा ।।
धनेस धर्मेस पति तत तामा । तदरथ रूप तमतम मम नामा ।।
नृप गृह नीति सभा पथ्य नृदुर्ग नृदेव शंस ।
न्यासापह्रव अतथ्य तत तन पोषक अंश ।।
बुधवार, 03 अक्टूबर, 2012
तंत संसथन तंतित ताई । नत नीतिमत निगदन नय नाइ ।।
निरपसुत तंतन तरक कइसा । निरप सुत तंतन तरक तइसा ।।
नउपति करम सेन सम काहीं । निगद नग नीर तउ तन ताहीं ।।
दूसर नार दूषनारि धेई । दिसि देस काल दिसवत देई ।।
दधि सोन समर सूर सांगा । तिगम तोयधि नीवा नाँघा ।।
तदानुरूप भव रूप आकारा । तत ततसुत तन ना आहारा ।।
तथा विध कथन कहनव थोरा । तात नीति वचन श्रवन सोरा ।।
ततछन दनुपति पुत धिक्कारा । दपट दरक दुरियन दुतकारा ।।
धवल गिर गह खड़ि धुप न धोई । दनुपति संभव दनुज न होई ।।
दुरउतर जोग आसय दूजा । दिनांत दिक दिस दस दसभुजा ।।
नीचकी निछक नीचक नाचा । नरतक नतरत नरक नराचा ।।
नगर मंडना मरदिन वासा । नग मूरधन नकट नग फाँसा ।।
दर्प दाप दंभक दंभ दुरारोह दुरलंभ ।
नायक नय निकुरंभ अलंघन लंघन लंभ ।।
धमधम दम थम सम धवल गिरा । धकपेल सुबेल भेल भीरा ।।
दरभ चीर पत आसन दसई । नीचकी चय चरनन चाई ।।
तत बलि सुत संग सिर चरनुजा । तोन तर नभचर तरक दूजा ।।
तरु तर दरंकन अंगीकारा । तीर तूनीर तुर दोधारा ।।
दरस विपत पथ गह गह गाहा । तमिपति तम नयंग अवगाहा ।।
दस दिस तरक तिस दकन देखी । दधि जात सोन तट सुत सेखी ।।
तमतर तमहर तमि पति षीचि । नग नक पथ नैन नीक नीची ।।
नभ दिसि वीथि तमक तमकारा । तमोधन गुन विकारन हारा ।।
गुरूवार, 04 अक्टूबर, 2012
तडक तोरन तरौन तरौंसी । तुर तर तोयकर यंतक रासि ।।
तल न धरातल धून न धुना । तोय तरंग न दर दरकन दूना ।।
तीछन दिरिस पथ लोह न सारा । दरव दर दरक दारन दारा ।।
दर दुरदांत नरमन देखी । नृप सदन वदन पतन सुलेखी ।।
निलय लयन गमन निज निकेता । नत नयन चरनि सायन समेता ।।
नयन नीर ने भय मय धीया । धियान धरन दसकंठ न दिया ।।
तय जगत जनक लोकन नाथा । निवचन निवेदन दसन माथा ।।
नइतिक निगरन निगहन गाही । निगूढ गूढ़ अरथ गहन ताहि ।।
तपोनिष्ठ निधि मुद्रा बल तप रूपक रूप कंचन ।
तप कर मणि तपुस अनल तप तप्त तप्तायन ।।
त्रयी तनु धर्म मुख त्रास त्राहि त्राहि उच्चार ।
त्रैदशिक त्रिकाल पाश त्रस त्रस्त त्राणकार ।।
शुक्रवार, 05 अक्टूबर, 2012
निवचन नारी निवेदन नाना । निवरतन वादन विविध विधाना ।।
नरम निसाटन ऍचन ऍठा । दही धरषिन धवनय धर बैठा ।।
तितय तिरिया चरित चर नारी । तिरय तिरयक तिय तिरसकारी ।।
तिगुनित गुना कालजय जामा । दंडि पताका पद पथ गामा ।।
तिजगत सूर जयी धर धारा । दरक न द्वापर दसमुख दारा ।।
दुराकरित कर चरना चारी । दुरधवन बचन दुरनव नारी ।।
निगूढ़ अरथ गह गह ग्यानी । धूरत चरितर धृष्ट न मानी ।।
दुरतिकर अधिगमन दस सीसा । दुरदाम अक्ष अंत दिसि दिरिसा ।।
धूलि ध्वज धूल धूसर धूलि पटल धरा धर ।
धूर्त कृत चारित्र अधर धूर ऊपर धूरंधर ।।
दिवाकर चारी चर त्रस दिन मुख नयन निकुंज ।
दिव्य क्रिया दर्शी अतस निकुंचन कुंचिका कुंच ।।
नित निथर निदरा मगन भंगा । धी सचिव धीति नीति नयंगा ।।
तिय जाम वंत वंदन वानी । ध्यान गमय तत रत धनुपानि ।।
दिगदरसक दरस पथ धियाना । तात तथा तंत मंत माना ।।
देसिक देसक देसित देसा । निदरसन नाथ दास निदेसा ।।
दूत करम मुख तव तत दासा । धावन जावन दसमुख बासा ।।
निजुकति जुकतन जोगन जोधा । निजुध जोजन जुगतन निबोधा ।।
दूनर दूहरय दासनुदासा । नमन नयन ने चरन नियासा ।।
तात तस रेनु रंजन धारा । दाहिन ला दे दुति तिहारा ।।
दीर्घ बाहु मुख मारुति अध्वम अध्यादेश ।
अध्वन गामिन अति पति अधो गमन दिक् देश ।।
दिसंतर धँस दसमुख दुवारा । देखइ देवन दइत दुलारा ।।
दुइ चंद चित हत लड़ मट मुहाँ । दुरदम बदन दूंदन दूआ ।।
दिस कर कुंजर तुवरन ताड़ा । धोजन धोसन धाँस दहाड़ा ।।
दुरबल मति मत मद धर धारी । दूरगुन गति भर दम मर मारी ।।
तित तहँ तय भय मय दयकारी । निकट निसाटक दुरदस दारी ।।
धकपक थहर न थह थहराई । तुर तूषनीर दिसि दरसाई ।।
तत वतस तदत तहियन ताईं । तदनुरूप अकार गत भव धाइ ।।
तुर निसाचर चरनय निवेदा । तथाकथन नृप सदन संवेदा ।।
धूमित आभा अगन अंग धूम्र कान्त लोचन ।
धूम यान संहति संग धूम धड़क वतायन ।।
नाक चर नाक वास नाकु नाग भूषण दास ।
धूम्र वर्ण नीकाश धूर्त कृत चरित्र निवास ।।
शनिवार, 06 अक्टूबर, 2012
नरम निबचन नृप सदन सुंदा । दइत लइत तहिं तुंड़क तुंडा ।।
दिग गज आगत नृप सदन सोंहीं । तिनक तन तउ तक तिरछौंही ।।
दरसन गह पथ तात तस धूलि । धू तुक तृषु तक तूलमतूली ।।
दिरिस दुष्ट वुष कुल कृति कारा । दीठ बंद खर चढ़ फिर मारा ।।
तुंग दिरिस दसन मुखाकारा । तड़पड़ तड़फल ताड़न ताड़ा ।
नेता नयन धर चरन उतारा । दरसन तेजस तेज कुमारा ।।
तचित तचन तिर तिरस्कारा । नीच नयन नमनय आसन धारा ।।
दृसछेप झेप दृड़ कर कारा । तूक कर तू तारा कुमारा ।।
तेजस कर कुल दिग बल धीता । तहु कहु तुतरहु तू तात मिता ।।
दुरग्येय दुर्गाधिकारी । गहन गाहन दमनीय धारी ।।
दुरभाग भाव नय आचारा । दुरदुष्ट देव धर धरष न धारा ।।
दुरमति बोध बल नीति अपनाई । दुरदिवस दरस दैव दिखाई ।।
दु:साध्य षेध भाष दूत दु:साहसी शील श्रवण ।।
दध्यानी दधि शोण सुत न्यायतस प्रिय वदन ।।
दूत करम मुख दूक दूरभाषी । दधि शोण सूत सुनत आसुरासि ।।
धड़क न दर धाकड़ धींगाई । धत धंतीगड़ धता बताई ।।
दु सार हथ टूक चंद चिताई । नैकृतिक कर निज नीति मिताइ ।।
धड़ी लगन धर अधर उठाया । धरस न धरनेत धरहरिआया ।।
तुच्छह कह तू तुच्छतितुच्छा । तहुँ कहुँ तू तुच्छ पुछ न ताछा ।।
धिक्कार कर दुरजात वाचा । दुत दूत दूत दुरागम गाछा ।।
दुरगहन गहीं चारन चाईं । दुत दुतकारन दूत दुरियाइ ।
दिगागत बालि बल सुत दरसा । निपतित पातकन नृप नृसंसा ।।
दुख ग्राम छिन्न वंत कर दायी वर्धन लोक ।
दु:षेध दुखमय अंत दु: साध्य शाधन श्लोक ।।
तू निष्कुषित कुलीकरण काश किंचन कृत कुल ।
कर्मन क्रामित क्रम क्रमण कालन कारण कूल ।।
दारन न दल न दलमल दाना । तीन लड़ी लड़ तेरह ताना ।।
दसकंध नृपकंध मूराई । तीछ न तीख न तीन तीताइ ।।
तीर तीर तिरयक तिरछाँहीं । निकट नीक न निचकिन नाहीं ।।
द्रुव धनी नख द्रुवनस काटा । नाक नाक न नीचहिं नाटा ।।
निकट निमित विद नेत नियारा । नेता नीतिकर न नृप तिहारा ।।
नाक न नकेल नकूल कुलीसा । नकतंदीन नाक चड़ी निसा ।।
धर्म संहिता सारन सारा । धरम दरसन देख दुआरा ।।
दुअर दुसर धरन धूरियाई । धरनि सुता हरन दीनताई ।।
तिनका तोड़ तिन तिनगन तुर तुर ताना तार ।
तोर न तोर ताना तन तीर तारा कुमार ।।
ध्वज भंग प्रहरण अस्त ध्वनि धर धवस्ति चर ।
ध्वांतोन्मेष ध्वस्त ध्वस्ति शाजव कर ।।
रविवार, 07 अक्टूबर, 2012
तड़क न ताड़क तोरी धजिनी । तत पुरुष सार न ततुरि ततिनी ।।
तत्व ग्यान दरस निष्ठा भाषी । तथा तत परक तुम्हरी नासी ।।
तुम्ह ताम तुन्डक द्रुम दोऊ । दर दर दरकन निसक दहरऊ ।।
दंदन दानव दंदी द्रोही । नित्यानित्य न दूसर तोही ।।
नगर नगारा नगर निकारा । नागरिक ना नगर आगारा ।।
निसि निसात्मज उपल निकाई । निकार निकारन निरे नियाई ।।
धरम आचरना धीरो दाता । धरनि धीवर दीनानाथा ।।
नित्यानित्य नित्याभियुक्ता । निबहन बाहन भव बंधन मुक्ता ।।
नियतात्मन तंत्र निष्ठ नेष्ट ने:श्रेयसिक ।
नियतेन्द्रिय अंतव्य यंत नत नैतिक नैत्यिक ।।
दधि सोन एक दबक दबकावा । दमक दम कर सरीरिन धावा ।
दध दधि सार ददन दधयानी । दचक दचकान दच्छिन धानी ।।
दखनामूर्ती अभिमुख वाहा । दछ क्रतु धवसिन तत तनयाहा ।।
दंष्टा कराल दंसेर दंसी । दंभक भानक दंसन बंसी ।।
दन्त कारक छतच्छद जाता । धावन पावन पुष्पक पाता ।।
मुँहा मसूरा मूरक वीना । दतुरक तुरिया दंतय तीना ।।
दुरग लंघना दुरगत गति आहिं । दुरगाधिकारी गह न गाही ।।
दुरा रोहु अलंभन अलोका । दुर अवगहन दहकनी धोका ।।
दहन गर्भ प्रिय सारथि उल्का केतन शील ।
दौ दहलान दस्यु वृत्ति नर्दी नर्मन कील ।।
धर दरजन दरथ दरदराना । दरक दररन दरन दरराना ।।
दरब ना दरप दर दरसाना । दरस न दरसन दरपन नाना ।।
नरेतर तर नरी तर तारा । नया निराला नरियर नारा ।।
दो सील चना दौ दौंगारा । दइ दोहरन तारा कुमारा ।।
नरक नारकी नालाकारी । नाच नचावन नारा नारी ।।
नाम किरत धर कर नर बंसी । नारी नारा नारासंसी ।।
नाचक नाचन कूदा काछा । नाँदी निनाद कर नय नाचा ।।
दरिद नरायन दरर दरारा । दरस दरसन दसमुख दुवारा ।।
नक् नख नगज दनुपति धीरा । नमो नमन नम मम धवल गिरा ।।
दर्भ चीर अंकुर आसन दर भृत मुख दरिद्राण ।
दाल दलित दलिया दलन दरिद्र नारायण दान ।।
दंस वंस दस दासन नासा । तातक ताड़न दासय दासा ।
दांडाजिनिक जानकी हरना । थू थू थूथन न थुड़ी करना ।।
नर नारायन मंडन कारी । दूषननारि नर कवच धारी ।।
दानान्तराय दरप धारी । धरन चरण हर दूसर नारी ।।
नित्यत होत दरसन आनंदा । तनेक दस दरस नृप निपंगा ।।
दुर नीति नृसंसन नित अंता । निपातन पात पातक यंता ।।
दुइ दसभुज धर दक दधि धारा । धन्ना धनवन धनवंतारा ।।
दाहिं बाहिं दस दसभुज धारा । तात तोड़ तित दरदर दारा ।।
दूइगुन दसमुख दरस न दूजा । दुइ सह साहस दुरगत भूजा ।।
धमाधम धमूक धमक धमारा । ताम तुंड धरन धमि दुआरा ।।
एक लंगा लंका काल चारिणी चेत चाल ।
एक मुख मुखी रंग लाल तारा तारा ताल ।।
सोमवार, 08 अक्टूबर, 2012
दससीस एक एक कर कपाला । नंदि रुद्र घोष दसमुख माला ।।
दहन गर्भ सील सीस सांसा । नृकपाल नरतक नीवानासा ।।
दोलत दहत दिरिस दसमाथा । निबधन बरन निबरहन धाता ।।
निदरसित दरस दरसन नित्या । निरख निरखर नरमन अनित्या ।।
निरुपधि यूहन लेखन लेखा । निरलेप लिपि निरलज न देखा ।।
निरविद्य मालय मंडन मोही । निराखर गुनिया गुन न तोही ।।
तंतु जाल जल तुंग न तीरा । तछम तनी न दिग बल बीरा ।।
तिथित नास त्रास तीन तिल्ली । तान तन सूत दैउ दिल्ली ।।
तितिल तोय तर तिरपन तितऊ । तितर बितर तहँ तित तहाँ तऊ ।।
तनिक त्रास धर दर भर भीता । तिर दहि धमनी दस कंठ जिता ।।
निकर दसकंध कर धर तोरा । तिन गहन गाह तुरतन दौरा ।।
निकर न कौड़ी नर नीकौड़ाया । निकत कतिक कुंजन निकियाआ ।।
निरनिकर कर निकाल निकाई । निछिप्त निछुभा छेपन छाई ।।
निष्कर्म कर्मन कर्तन कासित कासन कास ।
कृष्ट कुषित कर्ष कर्षन कास काष नीकाश ।।
निष्फलक फली प्रयोजन कासित कासन कास ।
निष्पावी पैय पेषण कास काष नीकाश ।।
निष्कर्म प्रतिभ प्रयोजन कासित कासन कास ।
निष्प्रभ प्रताप प्रकारन कास प्रकाश आकाश ।।
तरिया तरु तर नर तन पोषा । तोयन तोरन तोसन तोषा ।
तनु पोषक निंदरन निरासी । नाम यग्यक नास्तिक नासी ।।
तुकार कारन किट कित दांता । ताउ तिन दांति दांतिन तांता ।।
दउभुज दारुन धरनि धँसाईं । तित तनतन सदन धरासाइ ।।
तिरीट निटल टल नीक निकाय । निकर निकर कर नीचु गिराये ।।
निझरन झरन निछत छति छाइ । निकरित करिति करिंतन काई ।।
तितर बितर तर तित तहां तितै । तिन धर धनुधर तिन तिधर तिते ।।
निछेप निछावर निज निजकाई । निचकी नाचन निचयन चाई ।।
थर थर दबकन दर दलगुंजा । तिरीट निरीति निरख निकुंजा ।
तर तर तिरीट तूल तुलाना । दंत दसावन दया निधाना ।।
निरख नयन नय नरमन नाथा । दस दस दरपन दस दसमाथा ।।
दस दस दरकन दस दस दीसा । दस दस दरसन दस दससीसा ।।
दरस बरस दस माथन माला । तरन तरन तरु तारन लाला ।।
ततसुत ततछन चरनन धारा । तिर तिर तिरनी तिरमिर तारा ।।
निष्पत्ति पन्न पत्र पंक निष्ठव निष्ठावंत ।
निष्काम कषाय कलंक निष्णात निष्पंद ।।
मंगलवार, 09 अक्टूबर, 2012
तमकन धमकन धरु तमचोरा । धर दुइसिर कर तिनकन तोरा ।।
धावन धर धर तरुमृग मारो । नकत चर भक्षन तहँ तिहारो ।।
तरु मृग मंडल निबट दुइबंधु । निगहीत गहन निकारु निबंधु ।।
दुइटूक दुहर दुइचंद चारा । दौंचन चरन दुरललित धारा ।।
दुरधन दुरजन तू त्रियचोरा । निलज लजन थर धरन न थोरा ।।
दुरधवन जीव अछ दुरतिक्रमना । दुरासय अलाप दुरुतर धरना ।।
दुरवहित वदन वासन वासा । दुरविभाव वह विनय विलासा ।।
दुरमुख मित मन मद मति मंता । दुरनिवारन नय नीति नियंता ।।
दुर्दग्ध बरत ह्रदय दुलरवा । दुरव्यवहार बदन दुहरवा ।।
द्रोन काक कपि करक कपाला । दरिहर दल मल दीनदयाला ।।
दिक् चक्र शेखर शूल पति भ्रम बल दर्शन अंत ।
दु:खमय दु:खिनी दुखार्ति दुखी दु:ख शील संत ।।
नर कवच धर नक्तंचर नक्त चर्या भोजिन ।
नख क्षत पर्ण वर्ण विष्कर नखांकन नक्तंदिन ।।
तोर तव दसन नखिन नखौटा । नख नखिन नक न दंत मुखौटा ।।
नाथ तात ना दिन्ह निदेसा । दून दून हाँकन दूतक देसा ।।
दसनभुज मौलि मालन तौरों । तोय ताल लोक तुर तरबौरों ।।
तरु कोटर विलासिन सायी । दंकन डाहन दुइ टुकड़ाही ।।
दूतमुख दूक दसमुख मुसकाई । दुरमद दुलरन दुरललिताई ।।
दस दस बचन दसन दस बारू । ताड़ न तारन तरनक दुलारू ।।
धरहूँ धरनहु चरन धमधारी । निहचिंत निहचल अटल अटारी ।।
निहचिंत चित पट पत उतारी । निष्चल अटल तल नहीं टारी ।।
दल गंजन बादल बल बीरा । दुइ चित चरन धरनन अधीरा ।।
निश्चल अटल निष्कंपन निरा । दुइ तित तिहाँ दुइ नीचइ गिरा ।।
नला नलक नलकील धार धरन चरन धर धाँस ।
निखात खाद निसि विहार नसक नि:सरन स्वांस ।।
तरुमृग मगन चरण तल लोका । तली तलौवन तोकन धौंका ।
तरुमृग मेघनाद धर धारा । दरदर दरदुर थक थक हारा ।।
दूरललिता लरझर ललकारा । धरन कारन कहु दइत दुलारा ।।
तुरतन चरनन दसमुख धारा। तारन हारन तोर उधारा ।।
नवन नमन निरलजन लजाया । नयन निकुंचन कुंचित काया ।।
त्रिभुवन पथ पुर लोकन नाथा । नयन नवावन धर दसमाथा ।।
नर नाहर केसरी कपाला । दीनानाथन दीनदयाला ।।
दीप कली कूप ध्वज माला । दीठ बिछावन त्रस दसभाला ।।
तेजस्वान रूप उतार तेजो मूर्ती भंग ।
तैजसावर्तनी धार तेजस तारा चंद ।।
निरनुरोध आदर आहांर निरनुमोदन आधार ।
निर्ग गमन वचन विचार निवृत्त निवेदन धार ।।
बुधवार, 10 अक्टूबर, 2012
तिन ते ताड़ ताड़न तड़ाका । त्रि पदी पथ पुर जय जग जाका ।।
नेति नीतिमत नत निगराया । ताम त्रास नासक निअराया ।।
धरन धरय मयसुता सुझाई । तजहु निजोधन दुरनीति ताहिं ।।
दहरि दहर निररेखन रेखा । निसक नाघेहु थाहन देखा ।।
तुम्हरि इहि दसा विपरयासा । दरसन चरनन दूतक धाँसा ।।
तततनय लाँघन दंकन अंका । धँसन धंधोरन अंकन लंका ।।
धीगुन धारन धीजन थोरा । धीर सांत धुधारहिं तोरा ।।
धका धूम धर धचकन दाहीं । धड़ धज धर धज्जीहिं उड़ाहीं ।।
धनुर्धर तर खर दूषन धड़कन धड़ कन धरन ।
तरएक तारापति नसन निस्तार निस्तर्हन ।।
तरल तृपल तर तार तरस्वी । तमोधन हर अवतर तपस्वी ।।
तपन अयन धर चरनन धारी । दहन दुअरन लंकन लंकारि ।।
दासनुदास दसति दस ताके । दिगगज दरसन बलबन बांके ।।
दलमल बादल अति बलवाना । दिगगज बलकल विजयी नाना ।।
दिग बल मुख चक्र सूदन साली । दिगबल हन हति बाहुक बालि ।।
दिगबल तरन प्रलंबन बोधा । सहस्त्र बाहु बीरबल जोधा ।।
दंड बाहिन ब्युह बध कारी । दंडक उपनत हतक तिहारी ।।
दिकदस साधन साधक साईं । निअरन निसरन तुम्हरि आईं ।।
द्वितनय निशरण शुंभन द्युतिमंत द्वीप दहन ।
देव कुल कर्म गति ग्रहण युग भवन चरण भजन ।।
नारि बचन निभ निभरमाना । द्वय बदन कथन श्रवन संधाना ।।
दिनादि चढ़ कर निषदन थाई । त्रपित दरपमय भय भुलाई ।।
दिगबल बालिहन सुत बुलाहीं । निअरन नमन नयन नय नाईं ।।
दिसाबली बालक बलिहारी । दूत मुख बचन श्रवण कन धारी ।।
देवकृत वादन प्रसन प्रमाधा । तनतन निषदन कइसन साधा ।।
तासु तिरीट तर तीर तराए । निटल अटल टल ढलन ढुरकाए ।।
दृग चेतन दृड़ पद जल धारा । दृड़ करमन धन प्रतिग्य चारा ।।
दाम साम दरन दंड चारी । निगम नीति धरन नृपाचारी ।।
दंड धारणा धार धर ध्वजिनी धर्मवंत ।
धर्मतस सेतु सार कर अगमतिक्रमण अंत ।।
गुरूवार, 11 अक्टूबर, 2012
दूतक दर्सिन गोचर चारा । धी सचिव गुण गिन गिन गुहारा ।।
दीर्घ तरु तूल दुअरन चारे । दिरिस कोन कहु धावन मारें ।।
दनुज अनुज अरु तरु मृग मंथा । नियतन बिभीषन नय नियंता ।।
निजुगत जोधक जुगति जुडाये । दूइचंद चतुरंग चित चढ़ायें ।।
नयन चरन नत नायक नावा । तुंग सिखर मुख धुजिनी धावा ।।
तर्जहिं गर्जहिं बर्सहिं भाला । नाम नमन धर दीनदयाला ।।
दुर्ग गम जय बोधन बेधा । दुस्चर दुस्कर नय दुर्बेदा ।।
दल गंजन बादल बारी । दुर्दम दरस दसन दिव धारी ।।
दुर्ग दर्शन दिव भर जय ग्रह ग्राह्य घट घोष ।
दुर्लभ लंघ्य मद विषह धर्ष दमन उदघोष
धमक धमक पड़ धमकन कारी । धरन धरधरन धावनि धारी ।।
दसधमनी धमधूसर धामा । दमक दमन दइतन दुरदामा ।।
धँस धँस हँस बस दसकंठारी । तरुमृग जूथप राजन धारी ।।
देह भाज भुख तरु मृग धारी । देवधुनी धरन भवन बारी ।।
तीछन करमन कंदन गंधा । दंस दिरिस पथ रस मस मंदा ।।
दंस कराल उदंड अहारी । तछन भछन तनु पोषन हारी ।।
धावन मारन दौरे दनुजा । तूमर तोमर गहन गल भुजा ।।
तूल तुल तृपल तूरन तुंडी । तूरन तुंडिन तुंदन तुंदी ।।
तुकार करन कर तुमड़ तुमुला । तुंग मुख सिखर तर तिर सूला ।।
नानायुध तूर तर धर दलमल दलगंजन धीर ।
दुर्गम तुंग मुख शेखर दशति दश द्वंदवीर ।।
तुंग सिखर सिर समरन सोहीं । दल गंजन बल बादल बोहीं ।।
तुर तेवर चढ़ तह तेहराना । तेज भंग भीरु तेजोबाना ।।
तिनअगन चर गाहन समाना । तेज तेजनक तेजन ताना ।।
तीर तीर तुर तर तर तीरा । तोरन ताडन तर तूनीरा ।।
तुर्य खंड मंड मँडराना । थलक थसक थली थरथराना ।।
दंतच्छद छत मूलक वीना । दनदन दंतसूकर दंतिना ।।
धरम चरन चर धनुधर दंडी । धरम पतित दक उदधि उदंडी ।।
धसधड धड़धड़ धगड़ धगाड़ा । धड़ पड़ बढ़ धकपेल पहाड़ा ।।
दक्षिणापथ चरण अभिमुख अयन दक्ष क्रतुध्वंसिनी ।
दक्षिणावर्तन प्रवाह पवन अगन लंकन दाहीनी ।।
दंतोलूखलिक दंदन दंतिक दंदशूक दंतिका ।
द्वंद कारिणी द्विष दर्शिनी द्रुत द्रुण द्रुग्ध द्रोणिका ।।
द्विपक्ष एकंक दसभाल त्रश त्रैलोक्य नाथ ।
द्वार कोट पट्ट पाल द्विहत हत्थड़ हाथ ।।
शुक्रवार, 12 अक्टूबर, 2012
तेजो रूप धर लोकन नाथा । निसिचर निकर निघातन घाता ।।
तड़फड़ तड़ितड़ थपड़ थपेड़ा । धड़धड़ गढ़ बढ़ भंडन भेड़ा ।।
दरकन दइतन दारुन धारी । धाड़न मारन दर नर नारी ।।
तर तर निरंतर धँसन धाँसा । निसिचर निषूदन निसस सांसा ।।
दुइमुँहु भाषन चितइ चारी । दिसि दृग तररन दसकंधारी ।।
तरजन तेजन ताड़न ताड़ा । तछन भछन भर नयन दहाड़ा ।।
तद दय भय त्रय दहल दिगदंति । दरकन तजन तन्देहिं तंती ।।
तुर तातल धर तूलमतूला । दलकन दलमल दलादल धुला ।।
नियुद्ध निर्घातन घात निर्गम गमन निसिचर ।
निर्विकल्प विकार नाद निकृति कृत कृंतन कर ।।
दर भर दलमल धावन धाई । दिसिजय पालक देव दिखाई ।।
दिगबली बल अंतर ब्यापे । तावान खावन दइतन धापे ।।
निज दल बिकल ततसुत ताड़ा । दिसि अस्तकर दुअरधर धाड़ा ।।
तरु मृग अरु मेघनाथ ताहीं । धक्कम पक्कम दुअरन दाही ।।
तट तनोज तर्जन तरजीला । धरन चरन त्रस धूल भय मिला ।।
दुर्ग लाँघ कर दुर्जन दामा । दबक दबोरन धुर दुर्नामा ।।
दरी भृत मुख तुल दुर्ग दुवारा । दरन दरेरन दलकन कारा ।।
दिरिस दर्व धर दलमल दारा । धार धर तर तुल तूल धारा ।।
तततनय धड़धड़ गढ़ चढ़ दध्यानी दान दान एकल ।
तदा तारासुत धाकड़ उड़ा धुम के बादल ।।
दृग गति बलकल द्वौ दृड़ायुधा । निजुद्ध बिरुद्ध क्रुद्ध निजोधा ।।
धड़ धड़ गड़ चढ़ दृड़ द्वौ धाई । दिरिस दसारथि दउ दोहाई ।।
नृप गृह कलस न्युबज नियासा । दर भर निसिचर निसस सांसा ।।
देव सेन गति गर्जन कारी । ताम नाम धर तारण हारी ।।
दुर अरोहन रोहन अलंभा । द्रुत गति गह द्वौतर दूथंभा ।।
दौर दौर दउ दुर्जन धारा ।दुर्गधिरुढ़ धर दौरन मारा ।।
तम तम तमकन धरन तमाचे । तमाचारी दुरबचन बांचे ।।
दूषय महामात धरनामा । धीर प्रसांत तारण धामा ।।
दिर्घायुध योद्धा युद्ध आयुस बाहु आकार ।
दूर दृष्टि वेधन बुद्ध दृढ़ चित धन्वन धार ।।
दिवा कीर्ति चारिण चर देव दत्तावधान ।
दिन नायक भृति दान कर दिगंत अंतर्ध्यान ।।
शनिवार, 13 अक्टूबर, 2012
थम थम थंभन थक न थकौऊ । दिनभृत देवचरन धर दौऊ ।।
दान धन धरन नयन निहारे । दया धार धर बरसन बारे ।।
निसट निसाटक निपट अंधकारे । दिगबल बलीमुख दिन धारे ।।
दुष्टा दूषय अलवल तारी । दुरंक अकार अध् दसमुख धारी ।।
धनुकर धनुधर धरि धरि धारा । तररर तरबर तरि तरि तारा ।।
थर थर थरकन थरि थर्राया । निसाचर निकर धड़ धड़ धाया ।।
निसा निबहर बहुरे बहीरा । धरन चरन चर तारन तीरा ।।
दलमल माल्यवंत दसांती । तातमंत तासु दसमुख नाती ।।
तुम्हँ इहँ धरनिसुता हरि आए । निष्कुली कर्तन करित निकाए ।।
निदर्स दर्सी गहन गह तेहुँ । निबरन धरनि सुता भृत देहुँ ।।
दइतन दैसिक निगद निदेसा । दसमुख धमक दउ न उपदेसा ।।
धीमत दहकत नयन निहारा । दुरबचन बाच बल दुतकारा ।।
तब दल गंजन ध्वन घननादा । दुरलछ लंघन घोषन बादा ।।
तड़क तड़ितबन ताड़न तड़के । तर तर तंती तारन तरके ।।
तदगत रूप दुइ दुइटुक धारा । दुइ इत दुअरन दु उत दुआरा ।।
धवन दमन चरन धरन धारी । दुटुक तितै तर दु उत उतारी ।।
धृत दीधिति वर्मन धृति धृत्वन धर धृषु धृष्य धृष्टता ।
धूर्त कृत चरित धूम्र वर्णित धूल धूसरित धूर्तता ।।
धूलि ध्वज धर धीरज धुरंधर धरण धूर धूँधरे ।
तर तीर दंत तूणीर वंत रुधिर रणधीर धर धरे ।।
ध्वनि यंत्र क्षेप क्षेपण भेद ग्रहण घननाद ।
ध्मांक्ष जंघा नाशन ध्यान मगन ध्यात ।।
रविवार, 14 अक्टूबर, 2012
धरम कर केतु कहँ दातारे । तीछन धनुधर दुदहर तिहारे ।।
तरुमृग दल नल नील अभयंता ।दिगबल बालि तनय हनुमंता ।।
तहँ कह कहँ दूषय महमाता । दर्दर धनुधर तापन ताता ।।
तीर तीर तर निकर निकासे । नाग पाश फन फनकन फाँसे ।।
धुर धुरंधर धुरन धुरवाई । तड़ी छड़ि बढ़ धुर्रा उड़ाई ।।
दस दस तीर त्रसन धंसाये । दसति दस ध्वस दसन दसाये ।।
देखि ततसुत समर सुर सिरा । दौरन धरन धर धौलन गिरा ।।
धोरन धावन धव धंधारा । धड़ाधड़ उधड़ धड़ दे मारा ।।
दस दस तर धर कर काल दधि शोण बलीवीर ।
धूतुक नाद नाग नाल तडित्वान तर तीर ।।
नगन निर्झरिन नाग निर्झाला । धम धम धौंकन धर धौंडाला ।।
तोर तुरंग तुर अंग हिन् होई । तीरन तोयन तीर ना तोइ ।।
द्रुत गति धर कर दौकूल दारा । नौबढ़ दौंगड़ द्यो द्रव धारा ।।
तीछन किरन अगन दरसाये । निर्लज नयनन लजन लजाये ।।
तिल तंडुल तुल चूरन चाटा । तीर तीर तर तिर तिरछाँटा ।।
तंत्र मंत्र यंत्र तंतु जाला । तछन तंक नाथ नछत माला ।।
ताछरज ध्वज नायक नाई । तंतुक तारक दरक दहलाई
द्रुम शीर्ष षंडम् द्वादशांगम् द्रोण कलश मेघनम् ।
द्रविड़ द्रंगम् द्वापर द्वंद द्रविण प्रद द्रवणोदसम् ।।
द्यो द्योतकार द्रवाधार द्रवण द्रावण द्रवीभूतम् ।
द्रष्टा द्रापक द्रष्टव्य द्रावक द्रष्टार द्रव्य कृषनम् ।।
निर्ग्रंथ ग्रंथिक ग्राह्य निर्झर घातन घात ।
निर्ग गत गम गमन गर्व जल जित जीवन जात ।।
तंत्र मंत्र तंतुक तार तट तंतु कीट जाल ।
ताड़ फाड़ तातल धार तारी तार्य ताल ।।
दधि शोण तारक तारुण नायक नायक निर्देश ।
धराधार दहल दारुण धनुर्धर ग्रह धनेश
तूल तूल नयन दीर्घबाहु । धवल गिरि तनु धूम लोहिताहु ।।
तहँ दसकंधर दनुज निजकाइ । धुर ऊपर दिर्घायुध नाईं ।।
धरनी भृत मंडल मंडराए । तोम नोम धर नाए नरियाए ।।
तूल चाप धरन तूलमतूला । दलप दलादल धूलम धूला ।।
धूम रुच नयन लोहित बरनी । धुम धमल धर धारण धरनी ।।
धूतुक तूला धुनन अनुजा । धौंक धौंक धक धौंजन धनुजा ।।
धरु धरु कर धर धुधु धर मारा । धगड़ धगाधग धड़ उधाड़ा ।।
नौ तोड़ बढ़ चढ़ रंग रंगा । नयछ नयंचित नयन नयंगा ।।
नौ क्रम करम चर सेन दंडा । नौ ग्रह गह षंड खंड प्रचंडा ।।
नवछिदन व्यूह विधि वृंदा । नवति नवत नभ नयन अनंदा ।।
त्वरितवान तर त्वरण त्रिदशांकुश त्रिशूल ।
त्वच कंडुर चिर भेदन त्सरू पथ तूल तूल ।।
सोमवार, 15 अक्टूबर, 2012
त्वचछद तुंग दिगबल धारे । तूल चाप सेच पिचु पचारे ।।
नाथ अनुजनम धन घननादा । दल गंजन दंदन द्वीबादा ।।
तर तर एकसर दुर्जय जाता । दरस दिसाटक दुर्नय दांता ।।
दाम ताम थाम धनुर धीरा । तूरी तूरी तुर टार तूनीरा ।।
निसर निकर समर सूर सांगा । द्विसहस्त्राक्ष समक्ष उर नाँघा ।।
निकषन कष कृत कारन कासा । तेजपुंज नक निसस निसांसा ।।
निसात सादन षेधन साधा । दसति दसन धारन द्विबादा ।।
धराधार धर सायिन साहैं । त्रिजगधार थर धर न धराहैं ।।
द्वयाग्नि द्वीसहस्त्राक्ष द्वेषी द्वेषण द्वेष ।
द्विरदांतक द्वी द्वयक्ष द्वेष्टा द्वंद देश ।।
ध्वनी गहन धनवन तप दाता । धरन तरन त्रय भुवन उद्धापा ।।
धरम लछन बिद सेतु संहिता । देवल नर तर त्रिजग जीता ।।
नभस चस तर चमस चर अंती । तरन चरण निज धारिन तंती ।।
धुर धुर धुरियन धुरीन धेना । देव दत सरन राजन सेना ।।
त्रिभुवन गन गुन बरन दल त्रिका । दिग बल भद्र धराधार न दिखा ।।
ततसुत दुखमय दरसन दिखाएँ । नर नाहर नयन नीर नहाए ।।
तरु मृग जूथक पाल निबोधा । निषदन लंकन देह पुरोधा ।।
निर्बल तन सुत अंजन धरेहु । देव दत सेन सुषेन आनेउ ।।
निर्गत गम गमनागमन निसांस नीरुज नियोग ।
देह पुरोधा आगमन निरिक्षण रोगन रोग ।।
त्रिभुवन चरन उर धूर धराए । नामोषध धर तततनय धाए ।।
निर्ग गम गमन निगम निरोधा । दस कंधारी कौंधन क्रोधा ।।
त्रिगुनी गनित धूत चरित रचाए । तरु बर मंडित मृगय बिलसाए ।।
देखन तरुमृग बिलसित धारा । तृषन तृप्तन तोय तरारा ।।
दांडाजिनिक तद रुपन रासा । निसट निसाटक निकट निवासा ।
तदनंतर तर देवल माया । नामनाथ धर ततसुत नाया ।।
नत निवेदहिं नीर देव देहिं । तीरथ कमंडलु कर सिल सेहीं ।।
तर तर तरियन तुर तहुँ आवहुँ । दीठ बंद बिछहुँन दिच्छा देहुँ ।।
धरण चरण ततसुत तीर ताल घड़ियाल धाँस ।
तब निसरण दलबल वीर नौबढ़ नरक निकास ।।
मंगलवार, 16 अक्तूबर, 2012
तर तर तरियन चरनउ चापा । दया धर द्विज दाप उधापा ।।
तथ्य तहँ कहँ तमि षिची सांचा । तपसी नहँ वहँ निपट निसाटा ।।
दलउ दौह्रदय दह दौहाटा । नटक नाटितक नाठन नाठा ।।
धूरे दर्वन धमक धर पावा । दान मान धन दातृ धरावा ।।
धोतर धोधर धुर धुंधराया । तजन प्रान निज तन तर धाया ।।
नाथ नर्दन निबहन निबहुरा । धर तातल तर धावन तूरा ।।
तुतथ निरख औषध न नयंगा । दरीभृत धर तर उपारंगा ।।
धुर धुर ऊपर निसि नभ धाए । देव भूव भव भवन अवधाए ।।
दीर्घ बाहु मारुत सुत निसिचर खर नभमान ।
निष्फलक तर दशरथ पुत तीर तूनीर तान ।।
तहाँ निगदन नाथ नर नाईं । देखहु नयनु लखनु दुखदाई ।।
ततसुत आए न निसि अधियाई । तजनमन त्रसन दया निधाई ।।
दरसहु दसा अनुज उर धारा । दुखातन दुखमन अति दुखियारा ।।
तपवन अयन तव तजन ताता । तपस चरन तनवंग त्रितापा ।।
नयन पथ पटल जल निर्झारे । धार धार धर धरन न धारे ।।
दिग दरपन दिर्न धर अरुनाई । दुःख बहुल धर दुःख दुहाई ।।
तान तान तन ताना पाई । तान तान तन तातल धाई ।।
तार तार तर तंत्री थाई । तार तार तर दरस दुभाई ।।
दया निधान सील सागर निधि । दिन बंधू बदन बिलखन बहु बिधि ।।
दया आद्र धर द्रव द्रव धारा । दरसन महिमन अपरमपारा ।।
तरण तरण तरंगिणी तन तर तर तरंग माल ।
तरण श्रवण करण आगमन तुर तुर तुरंग लाल ।।
बुधवार, 17 अक्टूबर, 2012
दसकंठारि कंठ तर धारे । नाम गुन किरत कपि किलकारे ।।
देवबैद दुःखछद उपचारा । धराधार तल तुरतहिं धारा ।।
निबंधन बंद भय बाहु बंधु । निअर तर निकर निनादित नंदु ।।
दसानन श्रवन द्वेषी उदंता । दसोधड़ धुनहु दसधड़ वंता ।।
निद्र कुंभकरनउ चरन निजकाए । निद्र मगन भय भंजन भ्राताए ।।
दुर्मुख देरिरिपु नर आहारी । धुर धमधूसर देही धारी ।।
तेहि दसानन निगदन गावा । नेम धरन धर लंकन धावा ।।
निभृतउ भूतहिं निमद निबोधा । निपतय निपटाहु निपुन जोधा ।।
धरात्मजा धरन हरन कथन कह दनुजेंद्र ।
तररन श्रवन कुंभकरन धिक्कार दानवेंद्र ।।
दुष्कृत कर्मन तुम्ह दुष्कर्मा । दुष्कुलीन कुल किरतन धर्मा ।।
ततछन तजनहु तात दंभन्हिं । धरन चरन तव तुरत त्रिभुवनहिं ।।
त्रिभुवन गुन गनी मगन अनुजा । देवमदन मस मगवउ दनुजा ।।
दाढ़उ कराल दंडा धारी । दानव दंस भीरुकन हारी ।।
दुर्मद पय कुंभकरन कारा । निपतय गयउ धुजिन नहिं धारा ।।
देख दृगु लघु अनुज अगावा । धरन परन निज नाम धरावा ।।
तात लात धर मरतइ मारा । दरिन कहिन कह अनुज दुहारा ।।
धन्य धन्य तै धन्य निधाना । निसिचर नरेस दिगबल बाना ।।
निपत्य तरन कुंभकरण दनुज अनुज निर्दंड ।
त्रिभुवन ध्वजिनी धौंजन ध्वनि ध्वान प्रचंड ।।
दीर्घ कंधर केशउ कारी । गति जंघ जीव तुंडी धारी ।।
दरसन संसन निद्र पिछउ बाहु । मूलक वर्चिक रसन रद राहु ।।
धर्म चरन चर ग्रंथन त्राता । त्रिभुवन लिकन जगती धाता ।।
धनुर्धर पानि धनुगुन कारा । धरसन धर्षिन धमक धमकारा ।।
दृढ़ करमन धनवन संधाना । दालान दलमलन धनु धर ताना ।।
तान तान पुर पुंख पसारे । तेजपुंज तर धनु कर धारे ।।
तीर तूनीर तत तर तारे । तेज तेजनक तेज तरारे ।।
तर तर धनुधर दसति दस धाए । दसन कुम्भकरन धर धंसाये ।।
तर तर तरनहु वदनहु धावा । त्रोन द्रोन कल कलस धरावा ।।
निसर सर सर निकर नाराचा । दसमुख समुख अनुजमुख नाचा ।।
देव दूषणारि धनुर्धारी धन्विनय धनेश्वरम् ।
धन्य धन्यम्मन्य धन्या धीनय धन्वन धन्वाकरम् ।।
दृशीक दृश्यम् द्रष्ट द्र्शोपम दृष्टि कृत गत गोचरम् ।
देव कुल गण गतिक गुण गन पुंस पुंडरीक लोचनम् ।।
निषंग निषंगी षंगथि निशित निशात शत सर ।
निगूढ़ गत गम गति निशरण शमन निशिचर ।।
गुरूवार, 18 अक्टूबर, 2012
दिवस छय कर संजात सेना । धरो हर धरोहर धर देना ।।
दिन दयालु दल बली धीरा । तूला तूल तिलक धर तीरा ।।
निकर निकारन निसिचर सैना । दूबर दूभर तहँ दिनरैना ।।
देखि अनुज धड़ दसकंधारा । धड़ धर कर दुरक्रंदन कारा ।।
तब ततछन आवनु घननादा । निजकन बोधन तात निगादा ।।
ताड़ तडाका तड़कउ देखाहु । दिग बल चक्रांग तुरंगन ताहु ।।
तड़क तड़क तड़ ताड़ तड़केइ । ताड़ ताड़ तुर ताड़क लरिकेइ ।।
निषंगथि रथि निषंगहिं षंगा । त्रिसक्ति सूल धनुक धडंगा ।।
दूरारुड़ गमन पतन पंता । दूरधव अधिगम अतिक्रम अंता ।।
दंद दुगुनइ दुंद द्विदंडी । धूर धुरेरन उरहु उदंडी ।।
त्रिगुणा गुणित गमन गगन घननाद नदन नाद ।
तर तर थिर थर थर थरन दुर्वहन वदन वाद ।।
दस दिसि धरकर नभचर चाषा । निषंगन षंगी निकस अकासा ।।
तरु मृग बर चर नभ नदनंता । निदर्शन दरस न निवृत्तंता ।।
निकषसुत सीरू सर सर सारा । निकृत कृति करनउ निकर निकारा ।।
तिलकन तिलछन तालु चटकाहु । तर तर तीरउ फिरउ फिराऊ ।।
दरी भृत मुख तंतु जाल गिरउ । तर तर तरन तनु तात तितऊ ।।
नाग फाँस फन फनकन फेरा । तरकर खरकर घनकर घेरा ।।
नागन नाखन नक नक नाँघा । दनुपति सुत समर सुर सांगा ।।
नाग निबंधन नाथ निबांधा । नाथ निबंधन नाग न बांधा ।।
नकपति जित जामवंत धारा । धारण चरन धरु उर पर मारा ।।
धारण चरन अंक लंकन नाखा । देवरिषि दरस लच्छन लाखा ।।
नाक नाख नाकेश जित नाग पांशन पाश ।
नव व्यूह नागेश थित तल थल नीर निवास ।।
ताक्ष्र्य ध्वज तार तर ताक्ष्र्य तक्षणा तक्ष ।
त्रिगुणा गुणित नाग निकर ततक्षण भक्षण दक्ष अक्ष ।।
नख नग धर तरु मृग बर भारे । धड़ धड़ गढ़ चढ़ बढ़ बढ़ धारे ।।
निससन सांसउ नकपति जित जागा । देखि दनुपति निलज लज लागा ।।
तुरतउ गयउ दरी भृत मुखी । देव यज यजन कारन हवि हूति ।।
तहँ तंत्रन बिबीषन बिधाना । तात तहु सुनहु धीगुन धाना ।।
द्रोहचिंतन घननादन तुलहु । त्रिगुना गगन हवन हवि धरहू ।।
धराधार दिन्ह नाथ निदेसा । निकष निषंगन नमन निमेषा ।।
निकस निकर्षन दिग बल बीरा । दलज गंजन गिरा गंभीरा ।।
थित थिर थूलन तहँ न थिरकौहुँ । तौ तुम्ह मम नाम न धरौहू ।।
धर त्रिभुवन चरण सरोज धवन द्विसहस्त्राक्ष ।
नल नील तारा तनोज तत तनय मयंद दक्ष ।।
शुक्रवार, 19 अक्टूबर, 2012
देखहु गवउ आवहन आहा । देत दंश भीरु सतहु सुआहा ।।
थित थिर थरकन थिरक न थावहु । धर त्रिसूल तब दधिसोन धावहु ।।
दिग बल भद्र मुख समुख सब आहुं । तूल पकड़ पिछु घननादनाहु ।।
धारा धर बिष कर धर धारी । धमक धमक पड़ तडि तरवारी ।।
ततसुत तारापुत त्रस त्रासे । तासु त्रिसूल सिर सबहिं धाँसे ।।
दूरपातहु द्रुन षंड प्रचंडा । नौबिधि धातु ब्यूवहु खंडा ।।
तर तर तरन लछिमन लच्छा । दइत द्वितई द्रुत द्रुतै अछा ।।
देखि दुर्जय अरि दर भर भिता । ताप तपन तर तपो बल तिता ।।
तेज तेजनक धनुधर धारा । त्रिभुवन निगद तुर उर उतारा ।।
निबहन बरनउ बरहन बहुरा । निभ निभ भरमन धुरी न धूरा ।।
तहँ कहँ त्रिभुवन जपन त्यों त्यक्त प्राण ।
धन्य धन्य जन्य जन्मन त्रस रेणु तरण त्राण ।।
ततसुत तेहि धुर ऊपर धारा । धरउ रखहु सरनदीप दुआरा ।।
देवगन गगन गिरा गहु गावहिं । दुदुंभ दुदुंमा धूम धमावहिं ।।
दुःखमय भय मयसुता दुखियाहि । दुर्क्रंदन करइ धीर न थाही ।।
त्रिभुवन भवन भय भिनुसारा । तर निकर धर तुरियन दुआरा ।
द्विगुनी गुन चरन बचन बाहिका । सिर सीर्ष सहस्त्र सेन सिखा ।।
दल गंजन मन दानउ दोला । दरस दसानन निबचन बोला ।।
दीठ पीठ बत बीर भट भीरु । तारन तर तर समर सूर सिरू ।।
निज भुज बलहा हा बलकाहाँ । धमनिक अहनिक अहम् मति आहाँ ।।
तुर तुर तुरगी तुरी तुरंगा । तिल तिल तूल तूली पतंगा ।।
धर्षणीय धर्ष धर्षण धौर्तक धौर्य धर ।
धवन धौरण रावण रण नृदुर्ग संस निशिचर ।।
ध्वज अंशुक धर थंभन धारी । दंड भय भृत मुख अहंकारी ।।
दिग बल बली बहु मुख भुजंगी । धरनउ चरनउ अनी चतुरंगी ।।
दंश भीरु दंती मदउ मुखा । दलहु चलहु दंद दंदसूका ।।
धुर्बह बहनु बहु धूर्बीना । दचक दचक दधि दचन दच्छिना ।।
दगड़ धगड़ थक तगड़ नगाड़ा । धड़ धड़ाधड़ बढ़ बढ़ गाड़ा ।।
धुर उढा धुर ऊपर धराऊ । धूनक धूनन धुजिनी धाऊ ।।
धूम केतन पथ अगन बाना । आभउ अंग अयन अयमाना ।।
देखि निकट धुजिनी द्वैपाई । धाए तर करि तात दोहाई ।।
दंड काक चारी ठक्का धारी बालधि बहु वाहिनी ।
थंभित थर थर थली थरि धर थंभ न थाम्हनी ।।
नग नाग फाँस नखांक धाँस नखरायुध नखोटनी ।
दंती मदन दंड दसानन त्रिजगत जय जय कारिनी ।।
द्वार द्वार द्विआगमन द्विद्विपी द्विद्वीप ।
द्वि साहस्त्र सैन्य हन द्यौ द्यौ द्यवन उद्धिप ।।
शनिवार, 20 अक्टूबर, 2012
दनुज धुजिन धज धुजिहिन धाता । देखि दसा दिसि दुखभय भ्राता ।।
द्वापर दापहु उर अनुरागा । धरनहु परनहु निगद निरागा ।।
दसारथि रथ न त्रान तुरंगा । दुर्जय जय भय अति दुर्लंघा ।।
दया कर सिन्धु सील निधाना । निबचन बंधु दयित बर दाना ।।
दीछन दछ सुत क्रतुध्वंसिना । दीछक दीछा दयितहु दीना ।।
धीर बीर दय धरम धुर तिना । दृढ़ करम चेतन तिते धुजिना ।।
दम छम सम धर कर परहिता । तुरिय तुरंग रछ त्रिजग जीता ।।
देवाराधन निपुन निषंगथि । त्याग तनरक्षक निषंग तृप्ति ।।
दिग बल बुध दान दिर्घायुधा । दछ दमथ दुष्कर धनु निजुधा ।।
नित्य करम जात बुद्धि बहुला । थिर निर्मल तन मन त्रोन तुला ।
द्विज निवेदन बेद निर्भेदा । तेहि तुर सूर सुजय सुभेदा ।।
धूर धुरंधर धर धुरन दर्शन ( दिक्षण) श्रवण सुधीर ।
दिग्गज विजयी दशानन दुर्जय जयंत धीर ।।
धन्य धन्य तुम्ह धनेश धन्यम्मन्य अहमेव ।
धर दान धर्मोपदेश निवचन विभीषण एव ।।
उत तत्सुत तारातनय इत दसकंठ दहाड़ ।
नाम धर निज देवेशय तडिन्मय तडित ताड़ ।।
तिमिर भिद हर तूल तिलक धर तुणीर तर तर तुरंगा ।
तेज तेवर तेह तेहर धर समर सुर सिर सुरंगा ।।
तम काण्ड कारी तमाचारी तमो गुणी गण गर्जना ।।
तीक्ष्ण दंष्ट्रक तेज तक्षक तार पत स्वर तर्जना ।।
तंत्र जाल झाड़ गाल फाड़ तरंगी ताड़ मालयम् ।
तर तारण तुल धारण धुल नर केसरी हरि कौतुकम् ।।
धू तुक धून धुनक धुनन देव गिरा गृह गर्जना ।
तरक तरण तृण तडि तडि तृण तुषार कर गिरि पाषाना ।।
दर्श निज दल तल तिलछन दस-दस भुज दस धनुर ।
धरन दौकूल दशानन धड़ धड़ ध्वजिन दूर ।।
तड़ातड़ ताड़हु तृपल तन तासु । तड़ तड़ तड़कहु धंतीगढ़ धाँसु ।।
धायउ धर दसकंधर दापा । तर तर कर किलकारउ धापा ।।
थिरन रथन थिर थिर थिरकौहाँ । दुर्मद दुर्जन दुहृदय द्रौहा ।।
दपट झपट झट दसकंधावा । त्राहि त्राहि तब तर कर धावा ।।
तर तर तिलछित तरन धराधारा । नौधातु धरत सत सर सारा ।।
तुंग सिखर उर दनुज उतारा । धँसक धचक धर दसकंधारा ।।
निष्प्रतिभ परन धरनि निसांसा । ततछन उठहू जगनउ सांसा ।।
दान धृत्वन धर दीर्घायुध उर उतर धराधारहिं ।
निपतय पातन अधर उठावन दसमुख निसंसन निसकहिं ।।
धृति धृत्वन धराधार धरन धुर उपर तुल धूलकनी ।
निरपाय पावन धर उठावन दसानन त्रिभुवन धनी ।।
देखि ततसुत तहँ धावन निबचन भीषन बाँच ।
तरुमृग आवनहिं रावन तेहिं धौल धौलन धाँच ।।
नीराकर दहर धउरहारा । दयन दयावन कर दर भारा ।।
धनवन धनु बहन धनुरधारा । निसुंभ दसानन निषंगन सारा ।।
धनुक धनु गुन गहन अपारा । धनु सर कर धनवंतर धारा ।।
धरन चरन नदराजन थाहा । नृप दीप दकन दइतन दाहा ।।
थरथर थरन थर नर दखिनहा । धंसन दहलन दस दंकनवहा ।।
दासरथ दिरिसपथ दवनाला । दसमुख दहलन दरसन काला ।।
दसाकरष नयन जल ज्वाला । दाहन देहरि दीपक माला ।।
दिन दिन कर दीनानाथ दिव्य दीप दिवसेश ।
नौरंग क्रम सैन साथ दीप्तक द्वीप देश ।।
धुर धुरंधर धुर ऊपर धूम ध्वज पथ वान ।
धर धनुर्धर धनवंतर धूम धुमायमान ।।
रविवार, 30 सितम्बर, 2012
धूलिध्वज सुत सुद्धि सुतिहारी । दुइ बंधु बहन नग नग भारी ।।
करम पद नय नीर निरमाना । दृड़ संधि सिल सेतु संधाना ।
तरल तल तृपल धारिन धारी । धार धर बरस धारासारी ।।
नग नग नाथन नधन नदीसा । दूर दिग दिस अदूर भाव दिसा ।।
नील नीरधर नल निर्धारा । नद पद पथ पद्द पारावारा ।।
नल नील नदर नदीं नाँदा । नील निरबंधन नल नीरबांधा ।।
थरु तरु धारन तारन तारा । नग नगज नद्द नद नत धारा ।।
तृपल तरल कर तल कर तारी । नरमन दसन दिस दस कंठारि ।।
दुबिद दुसय दुइ दिगुन दिक बंधू । दीपिवत सिल्पिक सैल संदु ।।
शिला चक्र चित्र पट न्यास शिलाक्षर अटक टंक ।
शिल्प सैल विन्यास नत नद राजन रंक ।।
ताल मेल बन सेतुक सारा । दिस दिसंतर दसमुख दुआरा ।।
दुइ दिस तार दिरघाकारा । धर धनवागर नद नग गारा ।।
धरम करम कोष करित करनी । नाथ नत मस्तक धरन धरनी ।।
रघु राजन रज रचित नियासा । दकन धरन नील कंठ कासा ।।
तन निरंजन रचन रजतंता । दृसान दृस दस देवल संता ।।
तपो बन भूमि तप बल धामा । नेमि करन कर दे दइ रामा ।।
नखत साधन सिद विधवंता । देवारिपु सुर असुर नियंता ।।
दाय बंधु दय दायक दाई । देव धरमन देव अनुयायी ।।
देव कुंड कुट कुल कर्म गिरा गति गर्जन गण ।
गृह गर्भ गुरु चर्या धर्म भवन भूति ब्राम्हण ।।
देवार्पण अनुग अन्न युग यजि यजन मुनि जन ।
देवाराधन श्रुत श्रवण अर्चन श्री हुति हवन ।।
सोमवार, 01 अक्टूबर, 2012
दिसा साधन सेतु संवरना । दच दच धुजिनी धवज चरना ।।
दिग अंतर आगत बली दंति । दाहन दावन रावण रंती ।।
धवज पट प्रहरन धज धज धारी । धड़ा धड़ चढ़ दंड वध कारी ।।
दकन गोल पवन अग अभिमुखा । अभियान करन दल तीर तुका ।।
धरमत यज जुग जुद्ध धरावा । धुर धुर धुजिनी धावनि धावा ।।
धरमा चरन धर सेतु चरना । धरम चारन चर धुरय धरना ।।
दंड चक्र चरण दंतक पासा । दंकन अंकन लंकन वासा ।।
दगधन दमन दहन जोनि । देव धरम कर जुग संजोनी ।।
थुलथुल दर थली थरथर दनु पति संभव सीर ।
दन्न दनादन भयंकर दधि शोण सागर तिर ।।
तूणि तूणि तरंग तीर तिर तिर सूल दहाड़ ।
तूणी तूणी तूणीर तिन तिन ओट पहाड़ ।।
देहलि न्याय दीप धर कर कर्म दश कंठ जित ।
दंड मुख मुद्रा धराधर दसधड़ भव भय भीत ।।
थर थर थुलथुल दर थरकौंहाँ । तार तरन तर तनिक थकौहाँ ।।
थकन थंभन थम थर दुरदेसा । देस धर्म रूप देव निरदेसा ।।
तुतथ तनी तर तोय तिर ताहि । तुंडी तुंदि तुंदिफल खाही ।।
नदी कांत कर नद्राजन मुखा । नर कौतुक कर केसरी भुखा ।।
थाप थानैत धापन धाना । नारीकेल ध्वनि रस नाना ।।
नीर आधारी कर निरधारा । नीर नहारी धर निरहारा ।।
निरत निसाचर फिरतान पाया । निरत निरादर नाच नचाया ।।
मूल निरमूलन निसचलांगा । निछिपत छेपत नग नग नाँघा ।।
दौर दौर दौरहारद धारा । दइतन देह धर दैउ मारा ।।
देइतक दइतक दुराचारी । नरक असुर कर वानर मारी ।।
नखर कर नाकात चर नक काटा । नक इत कर उत नक नौ नाठा ।।
तोड़ तोड़ तुंदिल फला तुंडी तुंदी तुंड ।
दौड़ दौड़ दोलित दला नाभि कंटक झूंड (कुण्ड) ।।
दर दर दया कर सागर दलप गंजन बादल ।
दरण दर्पच्छिद कल हर दलभ दल दावानल ।।
मंगलवार, 02 अक्टुबर, 2012
देख दिसा दिग आवत नाथा । दूरकहन दुहरन दस माथा ।।
दिग दिक देस दिगंत दिखाई । दिग बल मंडल महिमा गाई ।।
दुहागी भागी दुहर दुहाई । तय दय भय मयसुता सुनाई ।।
धीगुन सकति सकल समुझाई । नयन नीर नावन नाथ नाइ ।।
नमनुरोधन विरोध निरोधा । निरधव निजोग जोगन जोधा ।।
दइत निधीस निबंधन गाथा । नर बलि हरि हत नरंधि नाथा ।।
नयविसारद नयनाभिरामा । नरकांतक कारि नर नामा ।।
नायक दयिता दयित दयाला । दया सील कर देव कृपाला ।।
धर धूलि ध्वज सुत उड़न धुर्तक धूलि झाड़ ।
धूर्त कृत चारित रचन दर्दर दर्व दहाड़ ।।
नयन नीर पट पथ पर देई । नाथनत नाथवत वइदेही ।।
नाम किरत कर कीरति केही । धीसख सीख नाथ दइ देइ ।।
दुइ सत वचन कहन कह पाई । दयित दय दो दयिता पराई ।।
तर धर थर नर दसावतारा । धर चरन कर नास तुम्हारा ।।
देसिक देही देसक देई । दइ वइदेही देवा लेही ।।
देव उपदेश दइ दो धेई । नर केसर तुम निरबल देही ।।
दरदर दरव दरपक धरता । दरभ आसन धर भासन भरता ।।
दाब दाप धर दानव दारी । धमक धमक धमधूसर धारी ।।
निगदन निगमन निवचन क्रोधा । नहीं निकटतम मम सम जोधा ।।
दुरतिक्रम नर देव दुरदामा । दावन रावन दरन न रामा ।।
दिगगज बली विजयी कारा । दिक् पति नाग नाथ तुम्हारा ।।
धनेस धर्मेस पति तत तामा । तदरथ रूप तमतम मम नामा ।।
नृप गृह नीति सभा पथ्य नृदुर्ग नृदेव शंस ।
न्यासापह्रव अतथ्य तत तन पोषक अंश ।।
बुधवार, 03 अक्टूबर, 2012
तंत संसथन तंतित ताई । नत नीतिमत निगदन नय नाइ ।।
निरपसुत तंतन तरक कइसा । निरप सुत तंतन तरक तइसा ।।
नउपति करम सेन सम काहीं । निगद नग नीर तउ तन ताहीं ।।
दूसर नार दूषनारि धेई । दिसि देस काल दिसवत देई ।।
दधि सोन समर सूर सांगा । तिगम तोयधि नीवा नाँघा ।।
तदानुरूप भव रूप आकारा । तत ततसुत तन ना आहारा ।।
तथा विध कथन कहनव थोरा । तात नीति वचन श्रवन सोरा ।।
ततछन दनुपति पुत धिक्कारा । दपट दरक दुरियन दुतकारा ।।
धवल गिर गह खड़ि धुप न धोई । दनुपति संभव दनुज न होई ।।
दुरउतर जोग आसय दूजा । दिनांत दिक दिस दस दसभुजा ।।
नीचकी निछक नीचक नाचा । नरतक नतरत नरक नराचा ।।
नगर मंडना मरदिन वासा । नग मूरधन नकट नग फाँसा ।।
दर्प दाप दंभक दंभ दुरारोह दुरलंभ ।
नायक नय निकुरंभ अलंघन लंघन लंभ ।।
धमधम दम थम सम धवल गिरा । धकपेल सुबेल भेल भीरा ।।
दरभ चीर पत आसन दसई । नीचकी चय चरनन चाई ।।
तत बलि सुत संग सिर चरनुजा । तोन तर नभचर तरक दूजा ।।
तरु तर दरंकन अंगीकारा । तीर तूनीर तुर दोधारा ।।
दरस विपत पथ गह गह गाहा । तमिपति तम नयंग अवगाहा ।।
दस दिस तरक तिस दकन देखी । दधि जात सोन तट सुत सेखी ।।
तमतर तमहर तमि पति षीचि । नग नक पथ नैन नीक नीची ।।
नभ दिसि वीथि तमक तमकारा । तमोधन गुन विकारन हारा ।।
नगर मर्दी वास रक्षक नक नखत नक्षत्र नाथ ।
धू तू तूल तक्षक दक्षक नक क्षत्र धृति क्षद क्षात ।।
तुषार कर गिर पाषाण तम त्र्यंजन न्यंग ।
त्रयी तनु धर्म मुख त्राण नम नयन नम अंग ।। (त्वषि त्वेष तरंग )
तत तनय तरक नरमन नाथा । दिस दरसन पथ गह कह गाथा ।।
दिरिस दिसि दखन दनुजेंदनुजा । दरक दरदरक दरसन दूजा ।।
तडित तडितवत तर तडकाना । तुषार रितु रत तत पाषाना ।।
तहँ दनुज दखन देखन भाला । तरक न दरदरक न दाला ।।
तर धारा धर बरसन बारी । निसाटन धरिष्ट धरन धारी ।।
तउ दरस दुरग धन रनधीरा । थुलथुल थर थर थिरकन थिरा ।।
तउ दरस दुरग धन रनधीरा । थुलथुल थर थर थिरकन थिरा ।।
ताल तलउबन तिलगन ताना । तिय तरबन तर कन काना ।।
दंत दसन मुख दापन दापा । तुर तुर तर तूल तूलचापा ।।
धप धम्मल धारण धार तड तागड ताटंक ।
तार पत वायु स्वर हार धर धरण धरणी अंक ।।
तल न धरातल धून न धुना । तोय तरंग न दर दरकन दूना ।।
तीछन दिरिस पथ लोह न सारा । दरव दर दरक दारन दारा ।।
दर दुरदांत नरमन देखी । नृप सदन वदन पतन सुलेखी ।।
निलय लयन गमन निज निकेता । नत नयन चरनि सायन समेता ।।
नयन नीर ने भय मय धीया । धियान धरन दसकंठ न दिया ।।
तय जगत जनक लोकन नाथा । निवचन निवेदन दसन माथा ।।
नइतिक निगरन निगहन गाही । निगूढ गूढ़ अरथ गहन ताहि ।।
त्रिकुल कांडिन् कालदर्शनिय दर्शी कुकुभव कर्मनम् ।
गुणा गुणातीत गुणी गुणित गण गुण चक्र जगवंदनम् ।।
त्रिदेव दण्डिन् धातु धर्मन् जीव जटा दश दिर्घिका ।
दश पुंगव पुंड पुटक पुरव पदी पथा पद गामिना ।।
त्रिपिंड पुष्करम मूर्ति मधुरम पुरुष परिक्रांतयम् ।
नाथ लोकन लोहक लोचन वर्णव विनत वर्त्मनम् ।।
शिख शाख शंकुल श्रंगु शूल शतक धारी मुद्रामय ।
वेणी वेद सर्ग वृत्त संध्या संध्य व्यापितम् ।।
तप कर मणि तपुस अनल तप तप्त तप्तायन ।।
त्रयी तनु धर्म मुख त्रास त्राहि त्राहि उच्चार ।
त्रैदशिक त्रिकाल पाश त्रस त्रस्त त्राणकार ।।
शुक्रवार, 05 अक्टूबर, 2012
निवचन नारी निवेदन नाना । निवरतन वादन विविध विधाना ।।
नरम निसाटन ऍचन ऍठा । दही धरषिन धवनय धर बैठा ।।
तितय तिरिया चरित चर नारी । तिरय तिरयक तिय तिरसकारी ।।
तिगुनित गुना कालजय जामा । दंडि पताका पद पथ गामा ।।
तिजगत सूर जयी धर धारा । दरक न द्वापर दसमुख दारा ।।
दुराकरित कर चरना चारी । दुरधवन बचन दुरनव नारी ।।
निगूढ़ अरथ गह गह ग्यानी । धूरत चरितर धृष्ट न मानी ।।
दुरतिकर अधिगमन दस सीसा । दुरदाम अक्ष अंत दिसि दिरिसा ।।
धूलि ध्वज धूल धूसर धूलि पटल धरा धर ।
धूर्त कृत चारित्र अधर धूर ऊपर धूरंधर ।।
दिवाकर चारी चर त्रस दिन मुख नयन निकुंज ।
दिव्य क्रिया दर्शी अतस निकुंचन कुंचिका कुंच ।।
नित निथर निदरा मगन भंगा । धी सचिव धीति नीति नयंगा ।।
तिय जाम वंत वंदन वानी । ध्यान गमय तत रत धनुपानि ।।
दिगदरसक दरस पथ धियाना । तात तथा तंत मंत माना ।।
देसिक देसक देसित देसा । निदरसन नाथ दास निदेसा ।।
दूत करम मुख तव तत दासा । धावन जावन दसमुख बासा ।।
निजुकति जुकतन जोगन जोधा । निजुध जोजन जुगतन निबोधा ।।
दूनर दूहरय दासनुदासा । नमन नयन ने चरन नियासा ।।
तात तस रेनु रंजन धारा । दाहिन ला दे दुति तिहारा ।।
दीर्घ बाहु मुख मारुति अध्वम अध्यादेश ।
अध्वन गामिन अति पति अधो गमन दिक् देश ।।
दिसंतर धँस दसमुख दुवारा । देखइ देवन दइत दुलारा ।।
दुइ चंद चित हत लड़ मट मुहाँ । दुरदम बदन दूंदन दूआ ।।
दिस कर कुंजर तुवरन ताड़ा । धोजन धोसन धाँस दहाड़ा ।।
दुरबल मति मत मद धर धारी । दूरगुन गति भर दम मर मारी ।।
तित तहँ तय भय मय दयकारी । निकट निसाटक दुरदस दारी ।।
धकपक थहर न थह थहराई । तुर तूषनीर दिसि दरसाई ।।
तत वतस तदत तहियन ताईं । तदनुरूप अकार गत भव धाइ ।।
तुर निसाचर चरनय निवेदा । तथाकथन नृप सदन संवेदा ।।
धूमित आभा अगन अंग धूम्र कान्त लोचन ।
धूम यान संहति संग धूम धड़क वतायन ।।
नाक चर नाक वास नाकु नाग भूषण दास ।
धूम्र वर्ण नीकाश धूर्त कृत चरित्र निवास ।।
शनिवार, 06 अक्टूबर, 2012
नरम निबचन नृप सदन सुंदा । दइत लइत तहिं तुंड़क तुंडा ।।
दिग गज आगत नृप सदन सोंहीं । तिनक तन तउ तक तिरछौंही ।।
दरसन गह पथ तात तस धूलि । धू तुक तृषु तक तूलमतूली ।।
दिरिस दुष्ट वुष कुल कृति कारा । दीठ बंद खर चढ़ फिर मारा ।।
तुंग दिरिस दसन मुखाकारा । तड़पड़ तड़फल ताड़न ताड़ा ।
नेता नयन धर चरन उतारा । दरसन तेजस तेज कुमारा ।।
तचित तचन तिर तिरस्कारा । नीच नयन नमनय आसन धारा ।।
दृसछेप झेप दृड़ कर कारा । तूक कर तू तारा कुमारा ।।
तेजस कर कुल दिग बल धीता । तहु कहु तुतरहु तू तात मिता ।।
दुरग्येय दुर्गाधिकारी । गहन गाहन दमनीय धारी ।।
दुरभाग भाव नय आचारा । दुरदुष्ट देव धर धरष न धारा ।।
दुरमति बोध बल नीति अपनाई । दुरदिवस दरस दैव दिखाई ।।
दु:साध्य षेध भाष दूत दु:साहसी शील श्रवण ।।
दध्यानी दधि शोण सुत न्यायतस प्रिय वदन ।।
दूत करम मुख दूक दूरभाषी । दधि शोण सूत सुनत आसुरासि ।।
धड़क न दर धाकड़ धींगाई । धत धंतीगड़ धता बताई ।।
दु सार हथ टूक चंद चिताई । नैकृतिक कर निज नीति मिताइ ।।
धड़ी लगन धर अधर उठाया । धरस न धरनेत धरहरिआया ।।
तुच्छह कह तू तुच्छतितुच्छा । तहुँ कहुँ तू तुच्छ पुछ न ताछा ।।
धिक्कार कर दुरजात वाचा । दुत दूत दूत दुरागम गाछा ।।
दुरगहन गहीं चारन चाईं । दुत दुतकारन दूत दुरियाइ ।
दिगागत बालि बल सुत दरसा । निपतित पातकन नृप नृसंसा ।।
दुख ग्राम छिन्न वंत कर दायी वर्धन लोक ।
दु:षेध दुखमय अंत दु: साध्य शाधन श्लोक ।।
तू निष्कुषित कुलीकरण काश किंचन कृत कुल ।
कर्मन क्रामित क्रम क्रमण कालन कारण कूल ।।
दारन न दल न दलमल दाना । तीन लड़ी लड़ तेरह ताना ।।
दसकंध नृपकंध मूराई । तीछ न तीख न तीन तीताइ ।।
तीर तीर तिरयक तिरछाँहीं । निकट नीक न निचकिन नाहीं ।।
द्रुव धनी नख द्रुवनस काटा । नाक नाक न नीचहिं नाटा ।।
निकट निमित विद नेत नियारा । नेता नीतिकर न नृप तिहारा ।।
नाक न नकेल नकूल कुलीसा । नकतंदीन नाक चड़ी निसा ।।
धर्म संहिता सारन सारा । धरम दरसन देख दुआरा ।।
दुअर दुसर धरन धूरियाई । धरनि सुता हरन दीनताई ।।
तिनका तोड़ तिन तिनगन तुर तुर ताना तार ।
तोर न तोर ताना तन तीर तारा कुमार ।।
ध्वज भंग प्रहरण अस्त ध्वनि धर धवस्ति चर ।
ध्वांतोन्मेष ध्वस्त ध्वस्ति शाजव कर ।।
रविवार, 07 अक्टूबर, 2012
तड़क न ताड़क तोरी धजिनी । तत पुरुष सार न ततुरि ततिनी ।।
तत्व ग्यान दरस निष्ठा भाषी । तथा तत परक तुम्हरी नासी ।।
तुम्ह ताम तुन्डक द्रुम दोऊ । दर दर दरकन निसक दहरऊ ।।
दंदन दानव दंदी द्रोही । नित्यानित्य न दूसर तोही ।।
नगर नगारा नगर निकारा । नागरिक ना नगर आगारा ।।
निसि निसात्मज उपल निकाई । निकार निकारन निरे नियाई ।।
धरम आचरना धीरो दाता । धरनि धीवर दीनानाथा ।।
नित्यानित्य नित्याभियुक्ता । निबहन बाहन भव बंधन मुक्ता ।।
नियतात्मन तंत्र निष्ठ नेष्ट ने:श्रेयसिक ।
नियतेन्द्रिय अंतव्य यंत नत नैतिक नैत्यिक ।।
दधि सोन एक दबक दबकावा । दमक दम कर सरीरिन धावा ।
दध दधि सार ददन दधयानी । दचक दचकान दच्छिन धानी ।।
दखनामूर्ती अभिमुख वाहा । दछ क्रतु धवसिन तत तनयाहा ।।
दंष्टा कराल दंसेर दंसी । दंभक भानक दंसन बंसी ।।
दन्त कारक छतच्छद जाता । धावन पावन पुष्पक पाता ।।
मुँहा मसूरा मूरक वीना । दतुरक तुरिया दंतय तीना ।।
दुरग लंघना दुरगत गति आहिं । दुरगाधिकारी गह न गाही ।।
दुरा रोहु अलंभन अलोका । दुर अवगहन दहकनी धोका ।।
दहन गर्भ प्रिय सारथि उल्का केतन शील ।
दौ दहलान दस्यु वृत्ति नर्दी नर्मन कील ।।
धर दरजन दरथ दरदराना । दरक दररन दरन दरराना ।।
दरब ना दरप दर दरसाना । दरस न दरसन दरपन नाना ।।
नरेतर तर नरी तर तारा । नया निराला नरियर नारा ।।
दो सील चना दौ दौंगारा । दइ दोहरन तारा कुमारा ।।
नरक नारकी नालाकारी । नाच नचावन नारा नारी ।।
नाम किरत धर कर नर बंसी । नारी नारा नारासंसी ।।
नाचक नाचन कूदा काछा । नाँदी निनाद कर नय नाचा ।।
दरिद नरायन दरर दरारा । दरस दरसन दसमुख दुवारा ।।
नक् नख नगज दनुपति धीरा । नमो नमन नम मम धवल गिरा ।।
दर्भ चीर अंकुर आसन दर भृत मुख दरिद्राण ।
दाल दलित दलिया दलन दरिद्र नारायण दान ।।
दंस वंस दस दासन नासा । तातक ताड़न दासय दासा ।
दांडाजिनिक जानकी हरना । थू थू थूथन न थुड़ी करना ।।
नर नारायन मंडन कारी । दूषननारि नर कवच धारी ।।
दानान्तराय दरप धारी । धरन चरण हर दूसर नारी ।।
नित्यत होत दरसन आनंदा । तनेक दस दरस नृप निपंगा ।।
दुर नीति नृसंसन नित अंता । निपातन पात पातक यंता ।।
दुइ दसभुज धर दक दधि धारा । धन्ना धनवन धनवंतारा ।।
दाहिं बाहिं दस दसभुज धारा । तात तोड़ तित दरदर दारा ।।
दूइगुन दसमुख दरस न दूजा । दुइ सह साहस दुरगत भूजा ।।
धमाधम धमूक धमक धमारा । ताम तुंड धरन धमि दुआरा ।।
एक लंगा लंका काल चारिणी चेत चाल ।
एक मुख मुखी रंग लाल तारा तारा ताल ।।
सोमवार, 08 अक्टूबर, 2012
दससीस एक एक कर कपाला । नंदि रुद्र घोष दसमुख माला ।।
दहन गर्भ सील सीस सांसा । नृकपाल नरतक नीवानासा ।।
दोलत दहत दिरिस दसमाथा । निबधन बरन निबरहन धाता ।।
निदरसित दरस दरसन नित्या । निरख निरखर नरमन अनित्या ।।
निरुपधि यूहन लेखन लेखा । निरलेप लिपि निरलज न देखा ।।
निरविद्य मालय मंडन मोही । निराखर गुनिया गुन न तोही ।।
तंतु जाल जल तुंग न तीरा । तछम तनी न दिग बल बीरा ।।
तिथित नास त्रास तीन तिल्ली । तान तन सूत दैउ दिल्ली ।।
तितिल तोय तर तिरपन तितऊ । तितर बितर तहँ तित तहाँ तऊ ।।
तनिक त्रास धर दर भर भीता । तिर दहि धमनी दस कंठ जिता ।।
निकर दसकंध कर धर तोरा । तिन गहन गाह तुरतन दौरा ।।
निकर न कौड़ी नर नीकौड़ाया । निकत कतिक कुंजन निकियाआ ।।
निरनिकर कर निकाल निकाई । निछिप्त निछुभा छेपन छाई ।।
निष्कर्म कर्मन कर्तन कासित कासन कास ।
कृष्ट कुषित कर्ष कर्षन कास काष नीकाश ।।
निष्फलक फली प्रयोजन कासित कासन कास ।
निष्पावी पैय पेषण कास काष नीकाश ।।
निष्कर्म प्रतिभ प्रयोजन कासित कासन कास ।
निष्प्रभ प्रताप प्रकारन कास प्रकाश आकाश ।।
तरिया तरु तर नर तन पोषा । तोयन तोरन तोसन तोषा ।
तनु पोषक निंदरन निरासी । नाम यग्यक नास्तिक नासी ।।
तुकार कारन किट कित दांता । ताउ तिन दांति दांतिन तांता ।।
दउभुज दारुन धरनि धँसाईं । तित तनतन सदन धरासाइ ।।
तिरीट निटल टल नीक निकाय । निकर निकर कर नीचु गिराये ।।
निझरन झरन निछत छति छाइ । निकरित करिति करिंतन काई ।।
तितर बितर तर तित तहां तितै । तिन धर धनुधर तिन तिधर तिते ।।
निछेप निछावर निज निजकाई । निचकी नाचन निचयन चाई ।।
थर थर दबकन दर दलगुंजा । तिरीट निरीति निरख निकुंजा ।
तर तर तिरीट तूल तुलाना । दंत दसावन दया निधाना ।।
निरख नयन नय नरमन नाथा । दस दस दरपन दस दसमाथा ।।
दस दस दरकन दस दस दीसा । दस दस दरसन दस दससीसा ।।
दरस बरस दस माथन माला । तरन तरन तरु तारन लाला ।।
ततसुत ततछन चरनन धारा । तिर तिर तिरनी तिरमिर तारा ।।
निष्पत्ति पन्न पत्र पंक निष्ठव निष्ठावंत ।
निष्काम कषाय कलंक निष्णात निष्पंद ।।
मंगलवार, 09 अक्टूबर, 2012
तमकन धमकन धरु तमचोरा । धर दुइसिर कर तिनकन तोरा ।।
धावन धर धर तरुमृग मारो । नकत चर भक्षन तहँ तिहारो ।।
तरु मृग मंडल निबट दुइबंधु । निगहीत गहन निकारु निबंधु ।।
दुइटूक दुहर दुइचंद चारा । दौंचन चरन दुरललित धारा ।।
दुरधन दुरजन तू त्रियचोरा । निलज लजन थर धरन न थोरा ।।
दुरधवन जीव अछ दुरतिक्रमना । दुरासय अलाप दुरुतर धरना ।।
दुरवहित वदन वासन वासा । दुरविभाव वह विनय विलासा ।।
दुरमुख मित मन मद मति मंता । दुरनिवारन नय नीति नियंता ।।
दुर्दग्ध बरत ह्रदय दुलरवा । दुरव्यवहार बदन दुहरवा ।।
द्रोन काक कपि करक कपाला । दरिहर दल मल दीनदयाला ।।
दिक् चक्र शेखर शूल पति भ्रम बल दर्शन अंत ।
दु:खमय दु:खिनी दुखार्ति दुखी दु:ख शील संत ।।
नर कवच धर नक्तंचर नक्त चर्या भोजिन ।
नख क्षत पर्ण वर्ण विष्कर नखांकन नक्तंदिन ।।
तोर तव दसन नखिन नखौटा । नख नखिन नक न दंत मुखौटा ।।
नाथ तात ना दिन्ह निदेसा । दून दून हाँकन दूतक देसा ।।
दसनभुज मौलि मालन तौरों । तोय ताल लोक तुर तरबौरों ।।
तरु कोटर विलासिन सायी । दंकन डाहन दुइ टुकड़ाही ।।
दूतमुख दूक दसमुख मुसकाई । दुरमद दुलरन दुरललिताई ।।
दस दस बचन दसन दस बारू । ताड़ न तारन तरनक दुलारू ।।
धरहूँ धरनहु चरन धमधारी । निहचिंत निहचल अटल अटारी ।।
निहचिंत चित पट पत उतारी । निष्चल अटल तल नहीं टारी ।।
दल गंजन बादल बल बीरा । दुइ चित चरन धरनन अधीरा ।।
निश्चल अटल निष्कंपन निरा । दुइ तित तिहाँ दुइ नीचइ गिरा ।।
नला नलक नलकील धार धरन चरन धर धाँस ।
निखात खाद निसि विहार नसक नि:सरन स्वांस ।।
तरुमृग मगन चरण तल लोका । तली तलौवन तोकन धौंका ।
तरुमृग मेघनाद धर धारा । दरदर दरदुर थक थक हारा ।।
दूरललिता लरझर ललकारा । धरन कारन कहु दइत दुलारा ।।
तुरतन चरनन दसमुख धारा। तारन हारन तोर उधारा ।।
नवन नमन निरलजन लजाया । नयन निकुंचन कुंचित काया ।।
त्रिभुवन पथ पुर लोकन नाथा । नयन नवावन धर दसमाथा ।।
नर नाहर केसरी कपाला । दीनानाथन दीनदयाला ।।
दीप कली कूप ध्वज माला । दीठ बिछावन त्रस दसभाला ।।
तेजस्वान रूप उतार तेजो मूर्ती भंग ।
तैजसावर्तनी धार तेजस तारा चंद ।।
निरनुरोध आदर आहांर निरनुमोदन आधार ।
निर्ग गमन वचन विचार निवृत्त निवेदन धार ।।
बुधवार, 10 अक्टूबर, 2012
तिन ते ताड़ ताड़न तड़ाका । त्रि पदी पथ पुर जय जग जाका ।।
नेति नीतिमत नत निगराया । ताम त्रास नासक निअराया ।।
धरन धरय मयसुता सुझाई । तजहु निजोधन दुरनीति ताहिं ।।
दहरि दहर निररेखन रेखा । निसक नाघेहु थाहन देखा ।।
तुम्हरि इहि दसा विपरयासा । दरसन चरनन दूतक धाँसा ।।
तततनय लाँघन दंकन अंका । धँसन धंधोरन अंकन लंका ।।
धीगुन धारन धीजन थोरा । धीर सांत धुधारहिं तोरा ।।
धका धूम धर धचकन दाहीं । धड़ धज धर धज्जीहिं उड़ाहीं ।।
धनुर्धर तर खर दूषन धड़कन धड़ कन धरन ।
तरएक तारापति नसन निस्तार निस्तर्हन ।।
तरल तृपल तर तार तरस्वी । तमोधन हर अवतर तपस्वी ।।
तपन अयन धर चरनन धारी । दहन दुअरन लंकन लंकारि ।।
दासनुदास दसति दस ताके । दिगगज दरसन बलबन बांके ।।
दलमल बादल अति बलवाना । दिगगज बलकल विजयी नाना ।।
दिग बल मुख चक्र सूदन साली । दिगबल हन हति बाहुक बालि ।।
दिगबल तरन प्रलंबन बोधा । सहस्त्र बाहु बीरबल जोधा ।।
दंड बाहिन ब्युह बध कारी । दंडक उपनत हतक तिहारी ।।
दिकदस साधन साधक साईं । निअरन निसरन तुम्हरि आईं ।।
द्वितनय निशरण शुंभन द्युतिमंत द्वीप दहन ।
देव कुल कर्म गति ग्रहण युग भवन चरण भजन ।।
नारि बचन निभ निभरमाना । द्वय बदन कथन श्रवन संधाना ।।
दिनादि चढ़ कर निषदन थाई । त्रपित दरपमय भय भुलाई ।।
दिगबल बालिहन सुत बुलाहीं । निअरन नमन नयन नय नाईं ।।
दिसाबली बालक बलिहारी । दूत मुख बचन श्रवण कन धारी ।।
देवकृत वादन प्रसन प्रमाधा । तनतन निषदन कइसन साधा ।।
तासु तिरीट तर तीर तराए । निटल अटल टल ढलन ढुरकाए ।।
दृग चेतन दृड़ पद जल धारा । दृड़ करमन धन प्रतिग्य चारा ।।
दाम साम दरन दंड चारी । निगम नीति धरन नृपाचारी ।।
दंड धारणा धार धर ध्वजिनी धर्मवंत ।
धर्मतस सेतु सार कर अगमतिक्रमण अंत ।।
गुरूवार, 11 अक्टूबर, 2012
दूतक दर्सिन गोचर चारा । धी सचिव गुण गिन गिन गुहारा ।।
दीर्घ तरु तूल दुअरन चारे । दिरिस कोन कहु धावन मारें ।।
दनुज अनुज अरु तरु मृग मंथा । नियतन बिभीषन नय नियंता ।।
निजुगत जोधक जुगति जुडाये । दूइचंद चतुरंग चित चढ़ायें ।।
नयन चरन नत नायक नावा । तुंग सिखर मुख धुजिनी धावा ।।
तर्जहिं गर्जहिं बर्सहिं भाला । नाम नमन धर दीनदयाला ।।
दुर्ग गम जय बोधन बेधा । दुस्चर दुस्कर नय दुर्बेदा ।।
दल गंजन बादल बारी । दुर्दम दरस दसन दिव धारी ।।
दुर्ग दर्शन दिव भर जय ग्रह ग्राह्य घट घोष ।
दुर्लभ लंघ्य मद विषह धर्ष दमन उदघोष
धमक धमक पड़ धमकन कारी । धरन धरधरन धावनि धारी ।।
दसधमनी धमधूसर धामा । दमक दमन दइतन दुरदामा ।।
धँस धँस हँस बस दसकंठारी । तरुमृग जूथप राजन धारी ।।
देह भाज भुख तरु मृग धारी । देवधुनी धरन भवन बारी ।।
तीछन करमन कंदन गंधा । दंस दिरिस पथ रस मस मंदा ।।
दंस कराल उदंड अहारी । तछन भछन तनु पोषन हारी ।।
धावन मारन दौरे दनुजा । तूमर तोमर गहन गल भुजा ।।
तूल तुल तृपल तूरन तुंडी । तूरन तुंडिन तुंदन तुंदी ।।
तुकार करन कर तुमड़ तुमुला । तुंग मुख सिखर तर तिर सूला ।।
नानायुध तूर तर धर दलमल दलगंजन धीर ।
दुर्गम तुंग मुख शेखर दशति दश द्वंदवीर ।।
तुंग सिखर सिर समरन सोहीं । दल गंजन बल बादल बोहीं ।।
तुर तेवर चढ़ तह तेहराना । तेज भंग भीरु तेजोबाना ।।
तिनअगन चर गाहन समाना । तेज तेजनक तेजन ताना ।।
तीर तीर तुर तर तर तीरा । तोरन ताडन तर तूनीरा ।।
तुर्य खंड मंड मँडराना । थलक थसक थली थरथराना ।।
दंतच्छद छत मूलक वीना । दनदन दंतसूकर दंतिना ।।
धरम चरन चर धनुधर दंडी । धरम पतित दक उदधि उदंडी ।।
धसधड धड़धड़ धगड़ धगाड़ा । धड़ पड़ बढ़ धकपेल पहाड़ा ।।
दक्षिणापथ चरण अभिमुख अयन दक्ष क्रतुध्वंसिनी ।
दक्षिणावर्तन प्रवाह पवन अगन लंकन दाहीनी ।।
दंतोलूखलिक दंदन दंतिक दंदशूक दंतिका ।
द्वंद कारिणी द्विष दर्शिनी द्रुत द्रुण द्रुग्ध द्रोणिका ।।
द्विपक्ष एकंक दसभाल त्रश त्रैलोक्य नाथ ।
द्वार कोट पट्ट पाल द्विहत हत्थड़ हाथ ।।
शुक्रवार, 12 अक्टूबर, 2012
तेजो रूप धर लोकन नाथा । निसिचर निकर निघातन घाता ।।
तड़फड़ तड़ितड़ थपड़ थपेड़ा । धड़धड़ गढ़ बढ़ भंडन भेड़ा ।।
दरकन दइतन दारुन धारी । धाड़न मारन दर नर नारी ।।
तर तर निरंतर धँसन धाँसा । निसिचर निषूदन निसस सांसा ।।
दुइमुँहु भाषन चितइ चारी । दिसि दृग तररन दसकंधारी ।।
तरजन तेजन ताड़न ताड़ा । तछन भछन भर नयन दहाड़ा ।।
तद दय भय त्रय दहल दिगदंति । दरकन तजन तन्देहिं तंती ।।
तुर तातल धर तूलमतूला । दलकन दलमल दलादल धुला ।।
नियुद्ध निर्घातन घात निर्गम गमन निसिचर ।
निर्विकल्प विकार नाद निकृति कृत कृंतन कर ।।
दर भर दलमल धावन धाई । दिसिजय पालक देव दिखाई ।।
दिगबली बल अंतर ब्यापे । तावान खावन दइतन धापे ।।
निज दल बिकल ततसुत ताड़ा । दिसि अस्तकर दुअरधर धाड़ा ।।
तरु मृग अरु मेघनाथ ताहीं । धक्कम पक्कम दुअरन दाही ।।
तट तनोज तर्जन तरजीला । धरन चरन त्रस धूल भय मिला ।।
दुर्ग लाँघ कर दुर्जन दामा । दबक दबोरन धुर दुर्नामा ।।
दरी भृत मुख तुल दुर्ग दुवारा । दरन दरेरन दलकन कारा ।।
दिरिस दर्व धर दलमल दारा । धार धर तर तुल तूल धारा ।।
तततनय धड़धड़ गढ़ चढ़ दध्यानी दान दान एकल ।
तदा तारासुत धाकड़ उड़ा धुम के बादल ।।
दृग गति बलकल द्वौ दृड़ायुधा । निजुद्ध बिरुद्ध क्रुद्ध निजोधा ।।
धड़ धड़ गड़ चढ़ दृड़ द्वौ धाई । दिरिस दसारथि दउ दोहाई ।।
नृप गृह कलस न्युबज नियासा । दर भर निसिचर निसस सांसा ।।
देव सेन गति गर्जन कारी । ताम नाम धर तारण हारी ।।
दुर अरोहन रोहन अलंभा । द्रुत गति गह द्वौतर दूथंभा ।।
दौर दौर दउ दुर्जन धारा ।दुर्गधिरुढ़ धर दौरन मारा ।।
तम तम तमकन धरन तमाचे । तमाचारी दुरबचन बांचे ।।
दूषय महामात धरनामा । धीर प्रसांत तारण धामा ।।
दिर्घायुध योद्धा युद्ध आयुस बाहु आकार ।
दूर दृष्टि वेधन बुद्ध दृढ़ चित धन्वन धार ।।
दिवा कीर्ति चारिण चर देव दत्तावधान ।
दिन नायक भृति दान कर दिगंत अंतर्ध्यान ।।
शनिवार, 13 अक्टूबर, 2012
थम थम थंभन थक न थकौऊ । दिनभृत देवचरन धर दौऊ ।।
दान धन धरन नयन निहारे । दया धार धर बरसन बारे ।।
निसट निसाटक निपट अंधकारे । दिगबल बलीमुख दिन धारे ।।
दुष्टा दूषय अलवल तारी । दुरंक अकार अध् दसमुख धारी ।।
धनुकर धनुधर धरि धरि धारा । तररर तरबर तरि तरि तारा ।।
थर थर थरकन थरि थर्राया । निसाचर निकर धड़ धड़ धाया ।।
निसा निबहर बहुरे बहीरा । धरन चरन चर तारन तीरा ।।
दलमल माल्यवंत दसांती । तातमंत तासु दसमुख नाती ।।
तुम्हँ इहँ धरनिसुता हरि आए । निष्कुली कर्तन करित निकाए ।।
निदर्स दर्सी गहन गह तेहुँ । निबरन धरनि सुता भृत देहुँ ।।
दइतन दैसिक निगद निदेसा । दसमुख धमक दउ न उपदेसा ।।
धीमत दहकत नयन निहारा । दुरबचन बाच बल दुतकारा ।।
तब दल गंजन ध्वन घननादा । दुरलछ लंघन घोषन बादा ।।
तड़क तड़ितबन ताड़न तड़के । तर तर तंती तारन तरके ।।
तदगत रूप दुइ दुइटुक धारा । दुइ इत दुअरन दु उत दुआरा ।।
धवन दमन चरन धरन धारी । दुटुक तितै तर दु उत उतारी ।।
धृत दीधिति वर्मन धृति धृत्वन धर धृषु धृष्य धृष्टता ।
धूर्त कृत चरित धूम्र वर्णित धूल धूसरित धूर्तता ।।
धूलि ध्वज धर धीरज धुरंधर धरण धूर धूँधरे ।
तर तीर दंत तूणीर वंत रुधिर रणधीर धर धरे ।।
ध्वनि यंत्र क्षेप क्षेपण भेद ग्रहण घननाद ।
ध्मांक्ष जंघा नाशन ध्यान मगन ध्यात ।।
रविवार, 14 अक्टूबर, 2012
धरम कर केतु कहँ दातारे । तीछन धनुधर दुदहर तिहारे ।।
तरुमृग दल नल नील अभयंता ।दिगबल बालि तनय हनुमंता ।।
तहँ कह कहँ दूषय महमाता । दर्दर धनुधर तापन ताता ।।
तीर तीर तर निकर निकासे । नाग पाश फन फनकन फाँसे ।।
धुर धुरंधर धुरन धुरवाई । तड़ी छड़ि बढ़ धुर्रा उड़ाई ।।
दस दस तीर त्रसन धंसाये । दसति दस ध्वस दसन दसाये ।।
देखि ततसुत समर सुर सिरा । दौरन धरन धर धौलन गिरा ।।
धोरन धावन धव धंधारा । धड़ाधड़ उधड़ धड़ दे मारा ।।
दस दस तर धर कर काल दधि शोण बलीवीर ।
धूतुक नाद नाग नाल तडित्वान तर तीर ।।
नगन निर्झरिन नाग निर्झाला । धम धम धौंकन धर धौंडाला ।।
तोर तुरंग तुर अंग हिन् होई । तीरन तोयन तीर ना तोइ ।।
द्रुत गति धर कर दौकूल दारा । नौबढ़ दौंगड़ द्यो द्रव धारा ।।
तीछन किरन अगन दरसाये । निर्लज नयनन लजन लजाये ।।
तिल तंडुल तुल चूरन चाटा । तीर तीर तर तिर तिरछाँटा ।।
तंत्र मंत्र यंत्र तंतु जाला । तछन तंक नाथ नछत माला ।।
ताछरज ध्वज नायक नाई । तंतुक तारक दरक दहलाई
द्रुम शीर्ष षंडम् द्वादशांगम् द्रोण कलश मेघनम् ।
द्रविड़ द्रंगम् द्वापर द्वंद द्रविण प्रद द्रवणोदसम् ।।
द्यो द्योतकार द्रवाधार द्रवण द्रावण द्रवीभूतम् ।
द्रष्टा द्रापक द्रष्टव्य द्रावक द्रष्टार द्रव्य कृषनम् ।।
निर्ग्रंथ ग्रंथिक ग्राह्य निर्झर घातन घात ।
निर्ग गत गम गमन गर्व जल जित जीवन जात ।।
तंत्र मंत्र तंतुक तार तट तंतु कीट जाल ।
ताड़ फाड़ तातल धार तारी तार्य ताल ।।
दधि शोण तारक तारुण नायक नायक निर्देश ।
धराधार दहल दारुण धनुर्धर ग्रह धनेश
तूल तूल नयन दीर्घबाहु । धवल गिरि तनु धूम लोहिताहु ।।
तहँ दसकंधर दनुज निजकाइ । धुर ऊपर दिर्घायुध नाईं ।।
धरनी भृत मंडल मंडराए । तोम नोम धर नाए नरियाए ।।
तूल चाप धरन तूलमतूला । दलप दलादल धूलम धूला ।।
धूम रुच नयन लोहित बरनी । धुम धमल धर धारण धरनी ।।
धूतुक तूला धुनन अनुजा । धौंक धौंक धक धौंजन धनुजा ।।
धरु धरु कर धर धुधु धर मारा । धगड़ धगाधग धड़ उधाड़ा ।।
नौ तोड़ बढ़ चढ़ रंग रंगा । नयछ नयंचित नयन नयंगा ।।
नौ क्रम करम चर सेन दंडा । नौ ग्रह गह षंड खंड प्रचंडा ।।
नवछिदन व्यूह विधि वृंदा । नवति नवत नभ नयन अनंदा ।।
त्वरितवान तर त्वरण त्रिदशांकुश त्रिशूल ।
त्वच कंडुर चिर भेदन त्सरू पथ तूल तूल ।।
सोमवार, 15 अक्टूबर, 2012
त्वचछद तुंग दिगबल धारे । तूल चाप सेच पिचु पचारे ।।
नाथ अनुजनम धन घननादा । दल गंजन दंदन द्वीबादा ।।
तर तर एकसर दुर्जय जाता । दरस दिसाटक दुर्नय दांता ।।
दाम ताम थाम धनुर धीरा । तूरी तूरी तुर टार तूनीरा ।।
निसर निकर समर सूर सांगा । द्विसहस्त्राक्ष समक्ष उर नाँघा ।।
निकषन कष कृत कारन कासा । तेजपुंज नक निसस निसांसा ।।
निसात सादन षेधन साधा । दसति दसन धारन द्विबादा ।।
धराधार धर सायिन साहैं । त्रिजगधार थर धर न धराहैं ।।
द्वयाग्नि द्वीसहस्त्राक्ष द्वेषी द्वेषण द्वेष ।
द्विरदांतक द्वी द्वयक्ष द्वेष्टा द्वंद देश ।।
ध्वनी गहन धनवन तप दाता । धरन तरन त्रय भुवन उद्धापा ।।
धरम लछन बिद सेतु संहिता । देवल नर तर त्रिजग जीता ।।
नभस चस तर चमस चर अंती । तरन चरण निज धारिन तंती ।।
धुर धुर धुरियन धुरीन धेना । देव दत सरन राजन सेना ।।
त्रिभुवन गन गुन बरन दल त्रिका । दिग बल भद्र धराधार न दिखा ।।
ततसुत दुखमय दरसन दिखाएँ । नर नाहर नयन नीर नहाए ।।
तरु मृग जूथक पाल निबोधा । निषदन लंकन देह पुरोधा ।।
निर्बल तन सुत अंजन धरेहु । देव दत सेन सुषेन आनेउ ।।
निर्गत गम गमनागमन निसांस नीरुज नियोग ।
देह पुरोधा आगमन निरिक्षण रोगन रोग ।।
त्रिभुवन चरन उर धूर धराए । नामोषध धर तततनय धाए ।।
निर्ग गम गमन निगम निरोधा । दस कंधारी कौंधन क्रोधा ।।
त्रिगुनी गनित धूत चरित रचाए । तरु बर मंडित मृगय बिलसाए ।।
देखन तरुमृग बिलसित धारा । तृषन तृप्तन तोय तरारा ।।
दांडाजिनिक तद रुपन रासा । निसट निसाटक निकट निवासा ।
तदनंतर तर देवल माया । नामनाथ धर ततसुत नाया ।।
नत निवेदहिं नीर देव देहिं । तीरथ कमंडलु कर सिल सेहीं ।।
तर तर तरियन तुर तहुँ आवहुँ । दीठ बंद बिछहुँन दिच्छा देहुँ ।।
धरण चरण ततसुत तीर ताल घड़ियाल धाँस ।
तब निसरण दलबल वीर नौबढ़ नरक निकास ।।
मंगलवार, 16 अक्तूबर, 2012
तर तर तरियन चरनउ चापा । दया धर द्विज दाप उधापा ।।
तथ्य तहँ कहँ तमि षिची सांचा । तपसी नहँ वहँ निपट निसाटा ।।
दलउ दौह्रदय दह दौहाटा । नटक नाटितक नाठन नाठा ।।
धूरे दर्वन धमक धर पावा । दान मान धन दातृ धरावा ।।
धोतर धोधर धुर धुंधराया । तजन प्रान निज तन तर धाया ।।
नाथ नर्दन निबहन निबहुरा । धर तातल तर धावन तूरा ।।
तुतथ निरख औषध न नयंगा । दरीभृत धर तर उपारंगा ।।
धुर धुर ऊपर निसि नभ धाए । देव भूव भव भवन अवधाए ।।
दीर्घ बाहु मारुत सुत निसिचर खर नभमान ।
निष्फलक तर दशरथ पुत तीर तूनीर तान ।।
तहाँ निगदन नाथ नर नाईं । देखहु नयनु लखनु दुखदाई ।।
ततसुत आए न निसि अधियाई । तजनमन त्रसन दया निधाई ।।
दरसहु दसा अनुज उर धारा । दुखातन दुखमन अति दुखियारा ।।
तपवन अयन तव तजन ताता । तपस चरन तनवंग त्रितापा ।।
नयन पथ पटल जल निर्झारे । धार धार धर धरन न धारे ।।
दिग दरपन दिर्न धर अरुनाई । दुःख बहुल धर दुःख दुहाई ।।
तान तान तन ताना पाई । तान तान तन तातल धाई ।।
तार तार तर तंत्री थाई । तार तार तर दरस दुभाई ।।
दया निधान सील सागर निधि । दिन बंधू बदन बिलखन बहु बिधि ।।
दया आद्र धर द्रव द्रव धारा । दरसन महिमन अपरमपारा ।।
तरण तरण तरंगिणी तन तर तर तरंग माल ।
तरण श्रवण करण आगमन तुर तुर तुरंग लाल ।।
बुधवार, 17 अक्टूबर, 2012
दसकंठारि कंठ तर धारे । नाम गुन किरत कपि किलकारे ।।
देवबैद दुःखछद उपचारा । धराधार तल तुरतहिं धारा ।।
निबंधन बंद भय बाहु बंधु । निअर तर निकर निनादित नंदु ।।
दसानन श्रवन द्वेषी उदंता । दसोधड़ धुनहु दसधड़ वंता ।।
निद्र कुंभकरनउ चरन निजकाए । निद्र मगन भय भंजन भ्राताए ।।
दुर्मुख देरिरिपु नर आहारी । धुर धमधूसर देही धारी ।।
तेहि दसानन निगदन गावा । नेम धरन धर लंकन धावा ।।
निभृतउ भूतहिं निमद निबोधा । निपतय निपटाहु निपुन जोधा ।।
धरात्मजा धरन हरन कथन कह दनुजेंद्र ।
तररन श्रवन कुंभकरन धिक्कार दानवेंद्र ।।
दुष्कृत कर्मन तुम्ह दुष्कर्मा । दुष्कुलीन कुल किरतन धर्मा ।।
ततछन तजनहु तात दंभन्हिं । धरन चरन तव तुरत त्रिभुवनहिं ।।
त्रिभुवन गुन गनी मगन अनुजा । देवमदन मस मगवउ दनुजा ।।
दाढ़उ कराल दंडा धारी । दानव दंस भीरुकन हारी ।।
दुर्मद पय कुंभकरन कारा । निपतय गयउ धुजिन नहिं धारा ।।
देख दृगु लघु अनुज अगावा । धरन परन निज नाम धरावा ।।
तात लात धर मरतइ मारा । दरिन कहिन कह अनुज दुहारा ।।
धन्य धन्य तै धन्य निधाना । निसिचर नरेस दिगबल बाना ।।
निपत्य तरन कुंभकरण दनुज अनुज निर्दंड ।
त्रिभुवन ध्वजिनी धौंजन ध्वनि ध्वान प्रचंड ।।
दीर्घ कंधर केशउ कारी । गति जंघ जीव तुंडी धारी ।।
दरसन संसन निद्र पिछउ बाहु । मूलक वर्चिक रसन रद राहु ।।
धर्म चरन चर ग्रंथन त्राता । त्रिभुवन लिकन जगती धाता ।।
धनुर्धर पानि धनुगुन कारा । धरसन धर्षिन धमक धमकारा ।।
दृढ़ करमन धनवन संधाना । दालान दलमलन धनु धर ताना ।।
तान तान पुर पुंख पसारे । तेजपुंज तर धनु कर धारे ।।
तीर तूनीर तत तर तारे । तेज तेजनक तेज तरारे ।।
तर तर धनुधर दसति दस धाए । दसन कुम्भकरन धर धंसाये ।।
तर तर तरनहु वदनहु धावा । त्रोन द्रोन कल कलस धरावा ।।
निसर सर सर निकर नाराचा । दसमुख समुख अनुजमुख नाचा ।।
देव दूषणारि धनुर्धारी धन्विनय धनेश्वरम् ।
धन्य धन्यम्मन्य धन्या धीनय धन्वन धन्वाकरम् ।।
दृशीक दृश्यम् द्रष्ट द्र्शोपम दृष्टि कृत गत गोचरम् ।
देव कुल गण गतिक गुण गन पुंस पुंडरीक लोचनम् ।।
निषंग निषंगी षंगथि निशित निशात शत सर ।
निगूढ़ गत गम गति निशरण शमन निशिचर ।।
गुरूवार, 18 अक्टूबर, 2012
दिवस छय कर संजात सेना । धरो हर धरोहर धर देना ।।
दिन दयालु दल बली धीरा । तूला तूल तिलक धर तीरा ।।
निकर निकारन निसिचर सैना । दूबर दूभर तहँ दिनरैना ।।
देखि अनुज धड़ दसकंधारा । धड़ धर कर दुरक्रंदन कारा ।।
तब ततछन आवनु घननादा । निजकन बोधन तात निगादा ।।
ताड़ तडाका तड़कउ देखाहु । दिग बल चक्रांग तुरंगन ताहु ।।
तड़क तड़क तड़ ताड़ तड़केइ । ताड़ ताड़ तुर ताड़क लरिकेइ ।।
निषंगथि रथि निषंगहिं षंगा । त्रिसक्ति सूल धनुक धडंगा ।।
दूरारुड़ गमन पतन पंता । दूरधव अधिगम अतिक्रम अंता ।।
दंद दुगुनइ दुंद द्विदंडी । धूर धुरेरन उरहु उदंडी ।।
त्रिगुणा गुणित गमन गगन घननाद नदन नाद ।
तर तर थिर थर थर थरन दुर्वहन वदन वाद ।।
दस दिसि धरकर नभचर चाषा । निषंगन षंगी निकस अकासा ।।
तरु मृग बर चर नभ नदनंता । निदर्शन दरस न निवृत्तंता ।।
निकषसुत सीरू सर सर सारा । निकृत कृति करनउ निकर निकारा ।।
तिलकन तिलछन तालु चटकाहु । तर तर तीरउ फिरउ फिराऊ ।।
दरी भृत मुख तंतु जाल गिरउ । तर तर तरन तनु तात तितऊ ।।
नाग फाँस फन फनकन फेरा । तरकर खरकर घनकर घेरा ।।
नागन नाखन नक नक नाँघा । दनुपति सुत समर सुर सांगा ।।
नाग निबंधन नाथ निबांधा । नाथ निबंधन नाग न बांधा ।।
नकपति जित जामवंत धारा । धारण चरन धरु उर पर मारा ।।
धारण चरन अंक लंकन नाखा । देवरिषि दरस लच्छन लाखा ।।
नाक नाख नाकेश जित नाग पांशन पाश ।
नव व्यूह नागेश थित तल थल नीर निवास ।।
ताक्ष्र्य ध्वज तार तर ताक्ष्र्य तक्षणा तक्ष ।
त्रिगुणा गुणित नाग निकर ततक्षण भक्षण दक्ष अक्ष ।।
नख नग धर तरु मृग बर भारे । धड़ धड़ गढ़ चढ़ बढ़ बढ़ धारे ।।
निससन सांसउ नकपति जित जागा । देखि दनुपति निलज लज लागा ।।
तुरतउ गयउ दरी भृत मुखी । देव यज यजन कारन हवि हूति ।।
तहँ तंत्रन बिबीषन बिधाना । तात तहु सुनहु धीगुन धाना ।।
द्रोहचिंतन घननादन तुलहु । त्रिगुना गगन हवन हवि धरहू ।।
धराधार दिन्ह नाथ निदेसा । निकष निषंगन नमन निमेषा ।।
निकस निकर्षन दिग बल बीरा । दलज गंजन गिरा गंभीरा ।।
थित थिर थूलन तहँ न थिरकौहुँ । तौ तुम्ह मम नाम न धरौहू ।।
धर त्रिभुवन चरण सरोज धवन द्विसहस्त्राक्ष ।
नल नील तारा तनोज तत तनय मयंद दक्ष ।।
शुक्रवार, 19 अक्टूबर, 2012
देखहु गवउ आवहन आहा । देत दंश भीरु सतहु सुआहा ।।
थित थिर थरकन थिरक न थावहु । धर त्रिसूल तब दधिसोन धावहु ।।
दिग बल भद्र मुख समुख सब आहुं । तूल पकड़ पिछु घननादनाहु ।।
धारा धर बिष कर धर धारी । धमक धमक पड़ तडि तरवारी ।।
ततसुत तारापुत त्रस त्रासे । तासु त्रिसूल सिर सबहिं धाँसे ।।
दूरपातहु द्रुन षंड प्रचंडा । नौबिधि धातु ब्यूवहु खंडा ।।
तर तर तरन लछिमन लच्छा । दइत द्वितई द्रुत द्रुतै अछा ।।
देखि दुर्जय अरि दर भर भिता । ताप तपन तर तपो बल तिता ।।
तेज तेजनक धनुधर धारा । त्रिभुवन निगद तुर उर उतारा ।।
निबहन बरनउ बरहन बहुरा । निभ निभ भरमन धुरी न धूरा ।।
तहँ कहँ त्रिभुवन जपन त्यों त्यक्त प्राण ।
धन्य धन्य जन्य जन्मन त्रस रेणु तरण त्राण ।।
ततसुत तेहि धुर ऊपर धारा । धरउ रखहु सरनदीप दुआरा ।।
देवगन गगन गिरा गहु गावहिं । दुदुंभ दुदुंमा धूम धमावहिं ।।
दुःखमय भय मयसुता दुखियाहि । दुर्क्रंदन करइ धीर न थाही ।।
त्रिभुवन भवन भय भिनुसारा । तर निकर धर तुरियन दुआरा ।
द्विगुनी गुन चरन बचन बाहिका । सिर सीर्ष सहस्त्र सेन सिखा ।।
दल गंजन मन दानउ दोला । दरस दसानन निबचन बोला ।।
दीठ पीठ बत बीर भट भीरु । तारन तर तर समर सूर सिरू ।।
निज भुज बलहा हा बलकाहाँ । धमनिक अहनिक अहम् मति आहाँ ।।
तुर तुर तुरगी तुरी तुरंगा । तिल तिल तूल तूली पतंगा ।।
धर्षणीय धर्ष धर्षण धौर्तक धौर्य धर ।
धवन धौरण रावण रण नृदुर्ग संस निशिचर ।।
ध्वज अंशुक धर थंभन धारी । दंड भय भृत मुख अहंकारी ।।
दिग बल बली बहु मुख भुजंगी । धरनउ चरनउ अनी चतुरंगी ।।
दंश भीरु दंती मदउ मुखा । दलहु चलहु दंद दंदसूका ।।
धुर्बह बहनु बहु धूर्बीना । दचक दचक दधि दचन दच्छिना ।।
दगड़ धगड़ थक तगड़ नगाड़ा । धड़ धड़ाधड़ बढ़ बढ़ गाड़ा ।।
धुर उढा धुर ऊपर धराऊ । धूनक धूनन धुजिनी धाऊ ।।
धूम केतन पथ अगन बाना । आभउ अंग अयन अयमाना ।।
देखि निकट धुजिनी द्वैपाई । धाए तर करि तात दोहाई ।।
दंड काक चारी ठक्का धारी बालधि बहु वाहिनी ।
थंभित थर थर थली थरि धर थंभ न थाम्हनी ।।
नग नाग फाँस नखांक धाँस नखरायुध नखोटनी ।
दंती मदन दंड दसानन त्रिजगत जय जय कारिनी ।।
द्वार द्वार द्विआगमन द्विद्विपी द्विद्वीप ।
द्वि साहस्त्र सैन्य हन द्यौ द्यौ द्यवन उद्धिप ।।
शनिवार, 20 अक्टूबर, 2012
दनुज धुजिन धज धुजिहिन धाता । देखि दसा दिसि दुखभय भ्राता ।।
द्वापर दापहु उर अनुरागा । धरनहु परनहु निगद निरागा ।।
दसारथि रथ न त्रान तुरंगा । दुर्जय जय भय अति दुर्लंघा ।।
दया कर सिन्धु सील निधाना । निबचन बंधु दयित बर दाना ।।
दीछन दछ सुत क्रतुध्वंसिना । दीछक दीछा दयितहु दीना ।।
धीर बीर दय धरम धुर तिना । दृढ़ करम चेतन तिते धुजिना ।।
दम छम सम धर कर परहिता । तुरिय तुरंग रछ त्रिजग जीता ।।
देवाराधन निपुन निषंगथि । त्याग तनरक्षक निषंग तृप्ति ।।
दिग बल बुध दान दिर्घायुधा । दछ दमथ दुष्कर धनु निजुधा ।।
नित्य करम जात बुद्धि बहुला । थिर निर्मल तन मन त्रोन तुला ।
द्विज निवेदन बेद निर्भेदा । तेहि तुर सूर सुजय सुभेदा ।।
धूर धुरंधर धर धुरन दर्शन ( दिक्षण) श्रवण सुधीर ।
दिग्गज विजयी दशानन दुर्जय जयंत धीर ।।
धन्य धन्य तुम्ह धनेश धन्यम्मन्य अहमेव ।
धर दान धर्मोपदेश निवचन विभीषण एव ।।
उत तत्सुत तारातनय इत दसकंठ दहाड़ ।
नाम धर निज देवेशय तडिन्मय तडित ताड़ ।।
तिमिर भिद हर तूल तिलक धर तुणीर तर तर तुरंगा ।
तेज तेवर तेह तेहर धर समर सुर सिर सुरंगा ।।
तम काण्ड कारी तमाचारी तमो गुणी गण गर्जना ।।
तीक्ष्ण दंष्ट्रक तेज तक्षक तार पत स्वर तर्जना ।।
तंत्र जाल झाड़ गाल फाड़ तरंगी ताड़ मालयम् ।
तर तारण तुल धारण धुल नर केसरी हरि कौतुकम् ।।
धू तुक धून धुनक धुनन देव गिरा गृह गर्जना ।
तरक तरण तृण तडि तडि तृण तुषार कर गिरि पाषाना ।।
दर्श निज दल तल तिलछन दस-दस भुज दस धनुर ।
धरन दौकूल दशानन धड़ धड़ ध्वजिन दूर ।।
तड़ातड़ ताड़हु तृपल तन तासु । तड़ तड़ तड़कहु धंतीगढ़ धाँसु ।।
धायउ धर दसकंधर दापा । तर तर कर किलकारउ धापा ।।
थिरन रथन थिर थिर थिरकौहाँ । दुर्मद दुर्जन दुहृदय द्रौहा ।।
दपट झपट झट दसकंधावा । त्राहि त्राहि तब तर कर धावा ।।
तर तर तिलछित तरन धराधारा । नौधातु धरत सत सर सारा ।।
तुंग सिखर उर दनुज उतारा । धँसक धचक धर दसकंधारा ।।
निष्प्रतिभ परन धरनि निसांसा । ततछन उठहू जगनउ सांसा ।।
दान धृत्वन धर दीर्घायुध उर उतर धराधारहिं ।
निपतय पातन अधर उठावन दसमुख निसंसन निसकहिं ।।
धृति धृत्वन धराधार धरन धुर उपर तुल धूलकनी ।
निरपाय पावन धर उठावन दसानन त्रिभुवन धनी ।।
देखि ततसुत तहँ धावन निबचन भीषन बाँच ।
तरुमृग आवनहिं रावन तेहिं धौल धौलन धाँच ।।