----- ।। माहे-शाम ।। -----
सफ़क के सुर्ख बिखरे हुवे गुलाब तलाश कर..,
शबिस्ताने सर शबीह बर शहाब देखिये..,
शहानी सफ्फे शाम की शहनाइ शमे-सर्क़ा..,
इसराज सहरे-साज पे रुदे-आब देखिये.....
इश्तिआले इश्क का हसीं सदका उतारिये..,
इलहाक़ सरिश्के-इश्क का सवाब देखिये..,
लिपट के लब हिलाके लबे लबलहकिये..,
लरजिशें लबालब लबे-लबाब देखिये.....(16 अगस्त)
गुल ग़ला से कोई ग़जल गुनगुनाइये..,
रबाबियत पे गुलाबे गुल रबाब देखिये.....
फरीके - फर्फरीके - फर्क को मिटाइये..,
तश्ते-फलक पे चाँद का शबाब देखिये.....(19 अगस्त)
रोज-ब-रोज रोज़ा-ऐ-शब सवाब बदलती है..,
शामे-शफक शमईं शमा शबाब बदलती है..,
रौज़ा-ए-सहर आती है रौनके-अफरोज होती है..,
सवाले-दीगर जिंदगी रोज जवाब बदलती है.....(20 अगस्त)
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सफ़क के सुर्ख बिखरे हुवे गुलाब तलाश कर..,
शबिस्ताने सर शबीह बर शहाब देखिये..,
शहानी सफ्फे शाम की शहनाइ शमे-सर्क़ा..,
इसराज सहरे-साज पे रुदे-आब देखिये.....
इश्तिआले इश्क का हसीं सदका उतारिये..,
इलहाक़ सरिश्के-इश्क का सवाब देखिये..,
लिपट के लब हिलाके लबे लबलहकिये..,
लरजिशें लबालब लबे-लबाब देखिये.....(16 अगस्त)
गुल ग़ला से कोई ग़जल गुनगुनाइये..,
रबाबियत पे गुलाबे गुल रबाब देखिये.....
फरीके - फर्फरीके - फर्क को मिटाइये..,
तश्ते-फलक पे चाँद का शबाब देखिये.....(19 अगस्त)
रोज-ब-रोज रोज़ा-ऐ-शब सवाब बदलती है..,
शामे-शफक शमईं शमा शबाब बदलती है..,
रौज़ा-ए-सहर आती है रौनके-अफरोज होती है..,
सवाले-दीगर जिंदगी रोज जवाब बदलती है.....(20 अगस्त)
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (19-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सुन्दर प्रस्तुति......
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